चमोली: बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इस पल के कई श्रद्धालु साक्षी बने और साथ ही उन्होंने भगवान से सुख-सुमृद्धि की कामना की. भगवान नारायण को घृत कम्बल और घी से लेप किया. वहीं इस मौके पर सेना के बैंड और भगवान बदरीनाथ के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. वहीं कपाट बंद होने के बाद किसी भी व्यक्ति को बगैर सरकारी अनुमति के हनुमान चट्टी से आगे जाने पर मनाही होगी.
गौर हो कि भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए 3 बजकर 35 मिनट पर अगले 6 माह के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद होने से पूर्व मुख्य पुजारी रावल ने सुबह 4 बजे भगवान बदरी विशाल का फूलों से श्रृंगार किया. आज भगवान का मुकुट और तिलक भी हीरे की जगह फूलों से ही लगाया जाता है. नियमित आरतियों के बाद सुबह 10 बजे भगवान का बाल भोग लगाया गया, फिर मुख्य पुजारी रावल ने दोपहर की पूजा संपन्न करवाई.
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भगवान बदरी विशाल के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद लक्ष्मी जी के मंदिर में भी पूजा-अर्चना हुई. दोपहर 2 बजे भगवान को इस साल का रात्रि भोग लगाया गया. इसके बाद रावल द्वारा स्त्री का भेष धारण कर मां लक्ष्मी की मूर्ति को गर्भ गृह में लाया गया तथा फिर माणा गांव की कुंवारी कन्याओं के द्वारा बनाई गई घृत कंबल यानी ऊन की कंबल में घी का लेपन कर मां लक्ष्मी और भगवान बदरी विशाल जी की प्रतिमा पर लपेटा गया. यह घृत कम्बल अगले साल कपाट खुलने के दिन भगवान की प्रतिमा से उतारा जाएगा. कंबल के रेशों को अगले वर्ष कपाट खुलने के दिन श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाएगा.