देहरादून: पलायन को लेकर शुरू की गई ईटीवी भारत की मुहिम लगातार खाली होते गांवों तक पहुंच रही है. जिससे ईटीवी भारत खाली होते गांवों की स्याह हकीकत को पाठकों के सामने रख रहा है. पिछले भाग में हमने आपको अपर तलाई गांव की सच्चाई से रू-ब-रू करवाया था. वहीं, अब हम आपको इस गांव के दूसरे पहलू के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां गांव के विकास के लिए चुना गया जनप्रतिनिधि ही सुविधाओं और सहूलियत के लिए गांव को अलविदा कर गया.
अब इसे अपर तलाई गांव की बदकिस्मती ही कहेंगे कि ग्रामीणों ने गांव के विकास के लिए जिस शख्स पर भरोसा किया वो ही उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया. जी हां, हम बात कर रहे हैं अपर तलाई गांव के प्रधान की, जो पिछले 10 सालों से गांव के प्रधान हैं और इन दिनों देहरादून में रहते हैं. तलाई गांव में उनके आने की उम्मीदों और यादों के साथ उनकी बुजुर्ग मां अकेले रहती हैं. जो कि हर पल बेटे के आने की राह देखती रहती है.