देहरादूनः लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राजनीतिक दलों ने जनता से जुड़े कई मुद्दों पर तो जरूर बात की लेकिन किसी भी दल ने उत्तराखंड से जुड़े उस मुद्दे को नहीं उठाया, जिसकी वजह से उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं प्रदेश के उन हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट की जो बीते कई सालों से बंद पड़े हैं.
बता दें कि राज्य में करीब 474 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनने थे, लेकिन आज केवल 80 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ही प्रदेश में बिजली उत्पादन कर रहे हैं. इसमें 39 निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई है.
वहीं 40 हाइड्रो प्रोजेक्ट की डीपीआर बनकर तैयार है लेकिन कार्य आगे नहीं बढ़ा है. इसके अलावा 23 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जिसका डीपीआर तक नहीं बन पाया है. इसके अलावा करीब 292 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स ऐसे भी हैं जिनका अभी धरातलीय सर्वे भी नहीं हो सका है.
प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट्स की वर्तमान स्थिति को लेकर हाइड्रो प्रोजेक्ट एक्सपर्ट दीपक बेनीवाल का कहना है कि उत्तराखंड के लिए यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आज प्रदेश में 200 से ज्यादा हाइड्रो प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं. यदि ये प्रोजेक्ट शुरू हो जाते तो विद्युत विभाग को बाहर से बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि इन हाइड्रो प्रोजेक्ट की मदद से बनने वाली बिजली को बेचकर प्रदेश को अच्छा खासा राजस्व मिल पाता.