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कॉपर के 'कारीगर' दुलप राम टम्टा, 76 साल की उम्र में भी हाथों का 'जादू' बरकरार - Dulap Ram Tamta

76 साल की उम्र में भी दुलप राम ताम्र कला (Dulap Ram Tamta Copper Artisan) को आगे बढ़ा रहे हैं. दुलप राम ने अपने दो बेटों मदन मोहन और विमल कुमार को भी ताम्रकला की बारीकियां सिखाई. साथ ही 50 अन्य युवाओं को भी वे ताम्रकला के कुशल कारीगर बना चुके हैं. दुलप राम उद्योग विभाग के सहयोग से युवाओं को ताम्र शिल्प कला का प्रशिक्षण (Dulap Ram Tamta giving training in copper art) भी देते हैं.

दुलप राम टम्टा
कॉपर के कमाल के 'कारीगर' हैं दुलप राम टम्टा

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Published : Dec 8, 2022, 4:12 PM IST

Updated : Dec 8, 2022, 9:45 PM IST

बागेश्वर: एक जमाना था, जब बागेश्वर के खरही पट्टी के ताम्र उत्पाद कुमाऊं के लोगों की पहली पसंद होते थे. खरही के तांबे के बर्तनों को लोग हाथोंहाथ लेते थे. जमाने ने आधुनिकता की चादर ओढ़ी, तो लोगों का रुझान स्टील आदि के बर्तनों की ओर होने लगा. इसी के साथ ताम्रकला के दिन भी ढलने लगे, लेकिन उडेरखानी गांव के दुलप राम टम्टा(Dulap Ram Tamta of Uderkhani village) ने अपने पुर्खों के हुनर को जीवित रखा है. कभी इस गांव में 36 ताम्रशिल्प के कारीगर काम किया करते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने इस कला से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया. दुलप इस समय गांव में ताम्रकला के अकेले कारीगर रह गए हैं.

दुलप ने ताम्रशिल्प कला को बचाने की ठानी. जिसके लिए उन्होंने अपने दो पुत्रों मदन मोहन और विमल कुमार को भी ताम्रकला की बारीकियां सिखाई. साथ ही 50 अन्य युवाओं को भी वे ताम्रकला के कुशल कारीगर बना चुके हैं. वह उद्योग विभाग के सहयोग से युवाओं को ताम्र शिल्प कला का प्रशिक्षण देते हैं. आज उनके ताम्र कारखाने में पांच लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी मिला हुआ है. दुलप राम का कहना है कि वह एक छोटे से कारीगर थे, जिसे ताम्र शिल्प कला ने पूरे देश में पहचान दिला दी.

कॉपर के 'कारीगर' दुलप राम टम्टा

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दुलप राम टम्टा (Dulap Ram Tamta Copper Artisan) को ताम्र शिल्प कला विरासत में मिली. तीन जून 1966 को 20 साल की उम्र में उन्होंने इसे व्यवसाय के रूप में शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने तांबे के बर्तन बनाकर घर-घर बेचकर आजीविका कमाना शुरु किया. वर्ष 1987 में उनके जीवन में बड़ा मोड़ तब आया, जब आईएएस देश दीपक वर्मा उडेरखानी गांव के भ्रमण पर आए. दुलप राम की बनाई तांबे की मूर्तियां उन्हें काफी पसंद आई.

उन्होंने दुलप राम को अपनी मूर्तियों को मेले और प्रदर्शनी में शामिल करने के लिए प्रेरित किया. उन्हें कुशल कारीगार का प्रमाणपत्र भी प्रदान किया. इसी दौरान उद्योग विभाग के सौजन्य से उनकी बनाई तांबे और पीतल की मूर्तियों का प्रदर्शन दिल्ली के प्रगति मैदान में किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने उन्हें स्टेट अवॉर्ड देकर सम्मानित किया. सम्मान मिलने के बाद दुलप राम दोगुने उत्साह से कार्य करने लगे. बागेश्वर उत्तरायणी, जौलजीबी मेला समेत तमाम क्षेत्रीय मेलों में वह अपने उत्पाद लेकर जाते थे.

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वर्ष 1998 में उन्होंने पहली बार गुवाहाटी में आयोजित मेले में ताम्र उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई. प्रदर्शनी में उन‌की बनाई मूर्तियां, बर्तन और अन्य उत्पाद हाथोंहाथ बिक गए. बाद में उन्होंने कोलकाता, हैदराबाद, कुरुक्षेत्र, जयपुर, उदयपुर, लखनऊ, दिल्ली में होने वाले मेले और प्रदर्शनी में अपने उत्पादों को शामिल किया. सभी जगहों में उनकी ताम्रशिल्प कला को काफी सराहना मिली. उनके बनाए उत्पादों को उचित दाम भी मिला.

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कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं दुलप राम: ताम्र शिल्प के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए दुलप राम टम्टा को राष्ट्रीय एक्सपो पुरस्कार 1998, सूरजकुंड मेला हरियाणा में कलानिधि पुरस्कार 2003, उपराष्ट्रपति कृष्णकांत से प्रशस्ति पत्र 2003, उत्तराखंड राज्य शिल्प रत्न पुरस्कार 2015 और विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की ओर से कलानिधि पुरस्कार 2018 प्राप्त हो चुका है. राज्य शिल्प रत्न पुरस्कार के तहत उन्हें एक लाख रुपये की राशि प्रदान की गई थी.

तांबे के बर्तन के ये हैं फायदे

  1. तांबा यानि कॉपर इस धातु के इस्तेमाल से शरीर में कॉपर की कमी पूरी होती है. तांबे के बर्तन में रखा पानी शुद्ध माना जाता है. जो डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री जैसी बीमारी इजात करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने की शक्ति रखता है.
  2. तांबे में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने से शरीर में दर्द, ऐंठन और सूजन की समस्या नहीं होती. ऑर्थराइटिस की समस्या से निपटने में भी तांबे के बर्तन में रखा पानी अत्यधि‍क फायदेमंद होता है.
  3. तांबे में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने की क्षमता में वृद्धि‍ करते हैं.अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे में कैंसर विरोधी तत्व मौजूद होते हैं. जो शरीर में कैंसर की शुरुआत रोकने में मदद करता है.
  4. तांबे के बर्तन में रखा पानी पाना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. प्रतिदिन इसका सेवन करने से पेट दर्द, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी परेशानियों से निजात मिलता है. साथ ही यह लिवर और किडनी को भी स्वस्थ रखता है.
  5. तांबा अपने एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेट्री गुणों के लिए भी जाना जाता है. यह शरीर के आंतरिक और बाहरी घावों को भी जल्‍द भरने सहायक होता है.
Last Updated : Dec 8, 2022, 9:45 PM IST

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