बागेश्वर डीएम अनुराधा पाल ने की धान की रोपाई. बागेश्वरःपहाड़ की पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत 'हुड़किया बौल' आज भी कहीं-कहीं जीवित है. इस ऐतिहासिक विरासत को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने और संस्कृति को बचाए रखने के लिए बागेश्वर डीएम ने अनूठी पहल की है. जिसके तहत डीएम अनुराधा पाल बिलौना में धान की रोपाई कर रही महिलाओं के बीच पहुंच गईं और रोपाई में जुट गई. इस दौरान डीएम ने हुड़किया बोल का जमकर आनंद लिया.
बारिश में भीगते हुए डीएम ने महिलाओं के साथ रोपी धान दरअसल, बागेश्वर के बिलौना में धान की रोपाई कर रही महिलाओं के बीच जिलाधिकारी अनुराधा पाल पहुंच गईं. जहां उन्होंने हुड़किया बौल की धुन के साथ धान की रोपाई की. अचानक अपने बीच डीएम को पाकर महिलाएं भी काफी खुश नजर आईं. इतना ही नहीं डीएम अनुराधा पाल ने भारी बारिश के बीच धान की रोपाई की. बता दें कि हुड़किया बौल के साथ धान की रोपाई उत्तराखंड की एक पुरानी परंपरा है, जो अब कुछ स्थानों में रह गई है. जिसे बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
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वहीं, बागेश्वर डीएम अनुराधा पाल ने कहा कि उत्तराखंड में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा रही है. हुड़किया बौल इसमें प्रमुख है. खेती और सामूहिक श्रम से जुड़ी यह परंपरा जीवंत रहे, इसका बीड़ा सभी को उठाना होगा. उन्होंने कहा कि कुमाऊं के लोकगीत का अतीत अत्यंत समृद्ध रहा है. लोकगीतों के ही कई आयाम हैं. लोकगीतों को इतने सलीके से तरासा गया है, कि इनमें जीवन का सार दिखता है.
'हुड़किया बौल' की धुन के साथ रोपाई करतीं डीएम अनुराधा पाल अपनी पुरातन विरासत को संरक्षित करने और उसे नई पीढ़ी तक ले जाने का प्रयास सभी को करना चाहिए. जिलाधिकारी अनुराधा ने हुड़किया बौल के साथ धान की रोपाई करने के बाद अपना पहला अनुभव भी साझा किया. उन्होंने इसे आनंदित करने वाला संस्कृति बताया.
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डीएम अनुराधा पाल ने कहा कि युवाओं के साथ ही प्रवासियों को भी इस प्रकार के आयोजनों में बढ-चढ कर हिस्सा लेना चाहिए, इससे जहां एक ओर हुड़किया बौल जैसी पारंपरिक संस्कृति को बल मिलेगा तो वहीं हुडका वाद्ययंत बजाने वाले कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा.