अल्मोड़ा:कई युवाओं को फुटबॉल के क्षेत्र में दक्ष बनाकर राष्ट्रीय खिलाड़ी की पहचान दिला चुके एक कोच आज गुमनामी और मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है. जहां एक ओर प्रदेश में खेल को बढ़ावा देने के दावे किए जाते हैं. वहीं प्रतिभा को तरासने वालों की कोई सुध नहीं ले रहा है.
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत निवासी फुटबॉल के कोच मोहम्मद इदरीश बाबा क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. जिन्होंने अपनी जिंदगी के 50 साल अवैतनिक कोच बनकर फुटबॉल को समर्पित कर दिए. इस दौरान उनके सिखाये खिलाड़ी आज बुलंदियां छू रहे हैं, लेकिन इदरीश बाबा आज मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
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रानीखेत के जरूरी बाजार निवासी 78 साल के मोहम्मद इदरीश को फुटबॉल से इतना लगाव था कि उन्होंने ताउम्र शादी न कर अपनी पूरी जिंदगी फुटबॉल को समर्पित कर दी. रानीखेत के मोहल्ला राजपुरा के छोटे से मैदान से फुटबॉल की शुरूआत करने वाले इदरीश बाबा अवैतनिक कोच रहे. इस दौरान उन्होंने युवाओं को फुटबॉल के गुर सिखाए. इदरीश बाबा ने कई टूर्नामेंट भी करवाये, इनमें चयनित खिलाड़ियों को उधार के पैसों से व अपनी जमा पूंजी से मंडल, जिला व राज्यस्तरीय चैंपियनशिप तक ले गए.