अल्मोड़ा: पंचायती राज एक्ट में संशोधन के बाद 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले पंचायत प्रतिनिधि चुनावी रेस से बाहर हो गए हैं. जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य समेत अधिकांश दिग्गज नेता वर्षों से पंचायतों में विभिन्न पदों पर आसीन थे. ऐसे में जिला पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिला पंचायत प्रतिनिधियों के विदाई समारोह का आयोजन किया. इस दौरान 5 साल के कार्यकाल की प्रगति को मंच के सामने रखते हुए नए पंचायती राज एक्ट का विरोध भी किया गया.
पंचायती राज एक्ट में संशोधन के कारण प्रतिनिधियों में रोष. जिले में आयोजित विदाई समारोह में उपस्थित पूर्व स्पीकर और जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने बताया कि सरकार ने गलत मंशा और बिना सोचे समझे पंचायती राज एक्ट बनाया है, जिसके खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा है. वहीं, वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष पार्वती मेहरा और उनके पति पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा नए नियम लागू होने के बाद अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
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ग्रामीण क्षेत्र में लंबे समय से पंचायत के विभिन्न पदों पर काबिज रहे इस परिवार का कहना है कि कम शिक्षित होने के बावजूद उन्होंने अच्छा नेतृत्व किया है, जिसकी लोग सराहना करते हैं. लेकिन, शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने और 3 बच्चों वाले नियम के कारण वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि कम पढ़े-लिखे व्यक्ति में काम करने की योग्यता नहीं होती यह धारणा सरासर गलत है. क्योंकि इस देश को कम पढ़े-लिखे लोगों ने ही आजादी दिलाई और देश को आगे बढ़ाया है.
जिला पंचायत अध्यक्ष पार्वती मेहरा और उनके पति का कहना है कि इस प्रकार के एक्ट लाकर सरकार अनुभवी लोगों को दरकिनार करना चाहती है. साथ ही धौलादेवी ब्लॉक प्रमुख और वरिष्ठ नेता पिताम्बर पांडे समेत अधिकांश 40 उम्र पर कर चुके ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य आगामी चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं. सरकार द्वारा बनाए गए नियम के कारण इन लोगों में काफी रोष है.