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दारमा घाटी के लोगों ने किया मतदान बहिष्कार, ग्रामीणों को मनाने में जुटा प्रशासन - District Election Officer Vijay Jogdande

उच्च हिमालयी क्षेत्र व्यास और दारमा घाटी के लोग माइग्रेशन के चलते शीतकाल में निचली घाटी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनावों को लेकर प्रशासन ने माइग्रेशन वाले 21 गांवों के लिए पूर्व की भांति इस बार भी निचले इलाकों में मतदान केंद्र बनाए है

व्यास घाटी के माइग्रेशन वाले गाँव.

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Published : Mar 29, 2019, 6:12 PM IST

पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी क्षेत्र व्यास और दारमा घाटी के लोग माइग्रेशन के चलते शीतकाल में निचली घाटी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं. वहीं, ये लोग ग्रीष्मकाल में अपने मूल स्थानों की ओर लौट जाते है. ऐसे में लोकसभा चुनावों को लेकर प्रशासन ने माइग्रेशन वाले 21 गांवों के लिए पूर्व की भांति इस बार भी निचले इलाकों में मतदान केंद्र बनाए है. लेकिन बुनियादी सुविधाओं को अभाव में दारमा घाटी के लोगों ने इस बार मतदान बहिष्कार का एलान किया है.

जानकारी देते ग्रामीण और जिला निर्वाचन अधिकारी


बता दें कि इस बार दारमा घाटी के आठ गावों ने सड़क समेत बुनियादी सुविधाओं को लेकर मतदान बहिष्कार का एलान किया है. लेकिन प्रशासन सभी ग्रामीणों को मतदान कराने के लिए पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है. जिसमें व्यास घाटी के गर्ब्यांग, बूंदी और नपलच्यू के निवासी धारचूला के प्राथमिक पाठशाला में मतदान करेंगे. साथ ही रौंगकौंग, नाबी, गुंजी और कुटी के निवासी पंचायत घर नाबी में मतदान करेंगे. हालांकि, बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते दारमा घाटी के लोगों ने इस मतदान बहिष्कार का मन बनाया हुआ है.

जिला निर्वाचन अधिकारी विजय जोगदंडे ने बताया कि दारमा घाटी के ग्राम दुग्तु, नागलिंग और बालिंग के निवासी नागलिंग फुलतड़ी केंद्र में मतदान करेंगे. साथ ही ग्राम तिदांग, मार्छा, सीपू, बौन, चल के निवासी मार्छा मतदान केंद्र और ग्राम दांतू के ग्रामीण बाढ़ शरणालय जौलजीबी के केंद्र में मतदान करेंगें. वहीं, ग्राम सेला, गो, फिलम, खिमलिंग के निवासी घाटीबगड़ में 141 राप्रापा गो में मतदान करेंगे.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि जिले के दर्जनों दूरस्थ गांवों में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. बावजूद इसके सीमांत की जनता प्रत्येक चुनावों में वोट डालकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करती है. लेकिन चुनाव के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि या सरकार जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते. यहीं वजह है कि जिले के दर्जन भर से अधिक गांवों ने इन बार आम चुनाव में प्रतिभाग ना करने का फैसला लिया है.

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