काशीपुर:हर साल 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल हिंदी दिवस के मौके पर सरकार द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर हिंदी को बढ़ावा देने की बात कही जाती है, लेकिन सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर रही है काशीपुर की श्री हिंदी प्रेम सभा.
बदहाली के आंसू रो रहा हिंदी प्रेम सभा. हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको 105 साल पुरानी श्री हिंदी प्रेम सभा के बारे में बताने जा रहा है. जोकि पिछले 105 सालों से हिंदी की परंपरा को संजोए हुए है.
देवभूमि उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में स्थित श्री हिंदी प्रेम सभा वाचनालय भवन सरकार की उपेक्षा के कारण बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है. श्री हिंदी प्रेम सभा के वर्तमान में पदभार संभाल रहे पुस्तकालय अध्यक्ष पंडित सुरेश चंद्र शर्मा के मुताबिक यह शहर का सबसे पुराना पुस्तकालय भवन है. जोकि पिछले 105 सालों से हिंदी की परंपरा और संस्कृति को संजोए हुए है. यहां लगभग 250 वर्ष पुरानी पांडुलिपि भी मौजूद है.
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सुरेश चंद्र शर्मा के मुताबिक श्री हिंदी प्रेम सभा की स्थापना देश के पूर्व गृहमंत्री और भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने 1914 में की थी. श्री हिंदी प्रेम सभा तब से लेकर आज तक हिंदी की सेवा करती आ रही है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में श्री हिंदी प्रेम सभा के लिए अनुदान राशि आया करती थी. लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से अनुदान राशि पर एक तरह से ब्रेक लग गया है. जिस वजह से पिछले 18 सालों से यहां रंग रोगन का कार्य भी नहीं हो पाया है.
सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि यहां रोजाना दर्जनों पाठक आकर विभिन्न धरा के उपन्यास और ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़कर ज्ञान अर्जन करते हैं. यहां आने वाले पाठकों के मुताबिक यहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. जिससे की पिछले 105 सालों से संचालित श्री हिंदी प्रेम सभा वाचनालय भवन का उद्धार हो सके.