उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / city

Kumbh Corona Testing Fraud में शरद और मल्लिका पंत अरेस्ट, SIT ने दिल्ली से दबोचा - हरिद्वार कुंभ फेक कोविड टेस्ट

कुंभ फर्जी टेस्टिंग घोटाले से जुड़ी बड़ी खबर है. इस घोटाले के दो मुख्य आरोपी शरद पंत और मल्लिका पंत गिरफ्तार कर लिए गए हैं. दोनों को SIT ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है. ये मामला हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना की करीब एक लाख फर्जी रिपोर्ट बनाए जाने का है.

कुंभ घोटाला
कुंभ घोटाला

By

Published : Nov 8, 2021, 9:57 AM IST

Updated : Nov 10, 2021, 3:55 PM IST

हरिद्वार: कुंभ टेस्टिंग घोटाले में मुख्य आरोपी कहे जा रहे शरद पंत और मल्लिका पंत को SIT ने गिरफ्तार कर लिया है. दोनों को उनके दिल्ली स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया गया है. आपको बता दे की SIT कल रात से छापेमारी कर रही थी.

हरिद्वार एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना टेस्टिंग घोटाले में फरार चल रहे दोनों मुख्य आरोपी शरत पंत और उसकी पत्नी मल्लिका पंत के नोएडा स्थित आवास पर एसआईटी लागातर नजर रखे हुए थी. मुखबिर की सूचना पर 7 नवंबर को देर रात दोनों ही अभियुक्तों को उनके आवास से गिरफ्तार किया गया. इस मामले में फरार पांच अन्य आरोपियों की तलाश जारी है, जिन्हें जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

ये था मामला: हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में घोटाला सामने आया था. कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया था.

एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग: स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

जानकारी देते हरिद्वार एसएसपी.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार कुंभ कोविड फर्जी टेस्टिंग मामले में सुनवाई, HC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

शरद पंत और मल्लिका पंत की थी तलाश:शरद पंत और मल्लिका पंतमैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज में सर्विस थे. याचिका के जरिए शरद पंत और मलिका पंत ने कोर्ट से कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दी थी. अगर कोई गलत कार्य हो रहा था तो कुंभ मेले की अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे?याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए थे.

ऐसे हुआ खुलासा:हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था.

उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.

मैक्स कॉर्पोरेट सोसाइटी, नलबा लैब और चंदानी लैब पर केस हुआ था: हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तहरीर पर नगर कोतवाली में मैक्स कॉर्पोरेट सोसायटी के साथ नलवा लैब और डॉ. लाल चंदानी लैब सेंट्रल दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. तत्कालीन एसएसपी सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया था.

डेलफिशा लैब का संचालक आशीष वशिष्ठ हुआ था गिरफ्तार: एसआईटी ने भिवानी की डेलफिशा लैब के संचालक आशीष वशिष्ठ को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ के बाद मैक्स कॉर्पोरेट सर्विस के पार्टनर शरद पंत और मल्लिका पंत के साथ हिसार की नलवा लैब के संचालक डॉ. नवतेज नलवा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की कोशिशें शुरू कर दी गई थीं. तीनों फरार चल रहे थे. एसआईटी ने आरोपियों की कुर्की के लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था.

चस्पा कर दिया था नोटिस: SIT ने शरद पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत के नोएडा स्थित आवास पर मुनादी कराने के साथ ही नोटिस चस्पा किया था. इसके साथ ही हिसार में डॉ. नवतेज नलवा के आवास और लैब पहुंचकर मुनादी कराने के बाद नोटिस चस्पा कर दिया था. इस मामले की जांच कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह कर रहे थे. इस बीच उनका तबादला गंगनहर कोतवाली हो गया था. इसके बाद नगर कोतवाली का चार्ज राकेंद्र कठैत को दिया गया था.

Last Updated : Nov 10, 2021, 3:55 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details