उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / city

ETV भारत विशेष: प्रह्लाद मेहरा जिनके गीत सुनकर थिरकने लगते हैं पैर - Prahlad Mehras song Ae Ja Mera Danpura

अगर आपने...ऐजा मेरा दानपुरा...गीत सुना होगा तो इस मखमली आवाज के धनी प्रह्लाद मेहरा के बारे में भी सुना होगा. ईटीवी भारत उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक प्रह्लाद मेहरा का विशेष इंटरव्यू अपने पाठकों और दर्शकों के लिए लाया है. संकोची, मधुर बोलने वाले और संस्कारों से ओतप्रोत प्रह्लाद मेहरा ने इस दौरान ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए गाने भी गुनगुनाए.

singer-prahlad-mehra
प्रह्लाद मेहरा

By

Published : Sep 22, 2021, 1:26 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 2:34 PM IST

हल्द्वानी:80 के दशक में पिथौरागढ़ के एक बच्चे ने इजा, आमा और दीदियों को घर में गाने गुनगुनाते सुनकर गाना शुरू किया. फिर रेडियो और टेप रिकॉर्डर पर गीत सुने तो उसका जुनून और परवान चढ़ा. गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत सुने तो ठान लिया कि गायक ही बनना है. बिना पारंपरिक शिक्षा लिए प्रह्लाद मेहरा ने 1989 में गायन के क्षेत्र में कदम रख लिया.

स्टेज पर पहला अनुभव खट्टा था: स्टेज पर जब पहली बार गाना गाया तो वो अनुभव बहुत अच्छा नहीं था. वहां मंच पर लड़ाई हो गई थी. प्रह्लाद मेहरा को वहां से जाना पड़ा था. रामलीला और झोड़े-चांचड़ी से प्रह्लाद मेहरा ने सार्वजनिक रूप में गीत गाने शुरू किए. मेहरा जी के पिता शिक्षा विभाग में थे. पिता साथ बिठाकर गाने गवाते थे. धीरे-धीरे लोग उनकी आवाज को पसंद करने लगे.

प्रह्लाद मेहरा जिनके गीत सुनकर थिरकने लगते हैं पैर.

प्रह्लाद मेहरा आकाशवाणी और दूरदर्शन में कोई छोटी-मोटी नौकरी करने की ख्वाइश रखते थे. लेकिन उनकी कला ने उनको पहाड़ के सबसे लोकप्रिय गायकों में से एक बना दिया.

ये भी पढ़ें: आजादी का जश्न लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के संग, जानें गढ़ रत्न के अनछुए पहलू

पिथौरागढ़ में हुआ जन्म: सिने अवॉर्ड में बेस्ट सिंगर का इनाम पाने वाले प्रह्लाद मेहरा को हीरा सिंह राणा के कद का गायक माना जाता है. प्रह्लाद मेहरा का जन्म 4 जनवरी 1971 को उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के ग्राम चामी भैंसकोट भरोडा के मुनस्यारी विकास खंड में हुआ है.

माता गृहणी थी. पिता शिक्षक थे. प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह नैनीताल जिले के बिन्दुखत्ता गांव पहुंच गए. यहां उन्होंने 1987 में सांस्कृतिक मंच तैयार किया और संगीत के क्षेत्र में काम करने का बहुत मौका मिला. कई सांस्कृतिक दलों के साथ काम किया.

धीरे-धीरे उनकी पहचान उत्तराखंड सहित अन्य जगहों पर होने लगी. प्रह्लाद मेहरा ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए कई गीत गाए हैं, जिससे युवा पीढ़ी संगीत के माध्यम से अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आ सके. प्रह्लाद मेहरा ने बताया कि वर्ष 2000 में कई एल्बम में गाने का मौका मिला. यहां से उनकी पहचान बनी. बदलते दौर में धीरे-धीरे पहाड़ की सांस्कृतिक पहचान खत्म हो रही है. ऐसे में अपनी संस्कृति को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें: ... जब पवनदीप ने उत्तराखंड सीएम के लिए छेड़ा तराना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया. प्रह्लाद मेहरा ने बेटी बचाने के लिए- 'गर्भ भितेरा बेटी ना मारा' गीत गाया. बेटी बचाने के लिए ये कैंपेन गीत से कम नहीं है. प्रह्लाद का गीत...ऐजा मेरा दानपुरा..इतना हिट हुआ कि लोगों की जुबान पर चढ़ गया. प्रह्लाद मेहरा ने बता दिया कि लोक संस्कृति से जुड़े गीत गाकर भी लोगों द्वारा गुनगुनाए जा सकते हो.

Last Updated : Sep 22, 2021, 2:34 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details