देहरादून: हिमालय की खराब होती सेहत के लिए वैश्विक कारण बड़े स्तर पर जिम्मेदार है. लेकिन स्थानीय कारणों के चलते भी हिमालय में विसंगतियां पैदा हो रही हैं. हिमालय दिवस पर पर्यावरणीय रूप से विसंगतियां पैदा करते कुछ ऐसे ही कारणों पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
हिमालय में तेजी से बढ़ रही पर्यावरणीय विसंगतियां. बता दें कि हिमालय पर दुनिया के एक बड़े हिस्से का पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है. नदियों पर बड़ी संख्या में बनते बांध पर्यावरण और जैव विविधता के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. इससे न केवल नदियों से बहकर आने वाले उपजाऊ खनिज का नुकसान हो रहा है, बल्कि कई जीव भी विलुप्ति की कगार पर हैं. यही नहीं पानी को न सड़ने देने वाला खास तत्व भी खत्म हो रहा है.
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पर्यावरणविद प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि यूं तो पर्यावरणीय विसंगतियों के लिए स्थानीय स्तर पर भी कई वजह हैं लेकिन मुख्य रूप से तीन कारणों के चलते हिमालय में बदलाव देखने को मिल रहा है. हिमालयी क्षेत्रों में विकास के लिए बनाई जाने वाली सड़कें भी पर्यावरण को बदल रही है. प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में करीब 30 से 40 हजार किलोमीटर सड़कें बनी हैं. सती बताते हैं कि एक किलोमीटर सड़क पर 30 से 60 हजार घन मीटर मलबा निकलता है. इस लिहाज से करीब 40 हजार किलोमीटर पर 160 करोड़ घन मीटर मलबा निकल चुका है. जोकि नदियों में पहुंचने से बाढ़ जैसे हालातों को पैदा करता है और शायद यही कारण है कि तेज बारिश के में अचानक बाढ़ आ जाती है.
हिमालय क्षेत्र में बदलाव का एक कारण वनों को लेकर बनाए गए तमाम नियम भी हैं. इसमें वन संरक्षण को लेकर तो काम किया जाता है, लेकिन वन प्रबंधन पर सरकारें कोई काम नहीं करती. जिस कारण हर साल जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं और बेहद खास तरह की जड़ी बूटियां भी नष्ट हो रही हैं. वन प्रबंधन न होने से चीड़ के जंगल फैलते जा रहे हैं और जड़ी-बूटियों का संरक्षण न होने से इनकी मात्रा में कमी आ रही है.
हिमालय क्षेत्र में कृषि भी लगातार तेजी से घट रही है. हिमालय क्षेत्र में आने वाले एक बदलाव में यह भी एक बड़ा बदलाव है. हिमालय क्षेत्र के उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण इस क्षेत्र में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से लेकर सरकारों का कोई ध्यान न होना है. साथ ही पलायन की वजह से भी खेती छूट रही है और जमीनें बंजर हो रही हैं.
प्रोफेसर एसपी सती ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर अलग-अलग बदलाव आ रहे हैं. हर साल उत्तराखंड हिमालय दिवस मनाता है. लेकिन इस हिमालय दिवस पर जरूरत है एक संकल्प लेने की, ताकि स्थानीय कारणों की वजह से पर्यावरण में जो विसंगतियां आ रही हैं उनको खत्म किया जा सके.