देहरादून: राज्य की कमान संभालने के बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभिन्न विभागों में रिक्त 22 हजार पदों को भरने की घोषणा की. इससे प्रदेश के युवाओं में नौकरी की आस जगी. लेकिन, प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री की कोशिशों को नौकरशाही फेल करने में जुटे हुए हैं. ऐसा शासन के उन आदेशों से समझ आता है. जिसमें विभागों में पदोन्नति के जरिए पदों को भरे जाने के लिए बार-बार कहा जाता है, लेकिन बावजूद इसके इन आदेशों पर काम करने को लेकर अधिकारी तैयार तक नहीं हैं.
उत्तराखंड में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युवाओं को बड़ी राहत देने के लिए रिक्त पदों को भरने की मुहिम चला रहे हैं. खाली होने वाले पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सके, लेकिन नौकरशाही का मजाक देखिए कि इस युवा मुख्यमंत्री के इरादों की धार को कुंद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है. हालत यह है कि पदोन्नति के हजारों पदों को दूसरा चयन वर्ष शुरू हो जाने के बाद भी नहीं भरा जा रहा है.
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दरअसल, पुष्कर सिंह धामी ने 3 महीने पहले सत्ता संभालते ही कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति और सीधी भर्ती की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे. उस समय कुछ असर दिखाई दिया. तब भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई गई, लेकिन पदोन्नति के सालों से खाली पड़े पदों को भरे जाने में विभागीय अधिकारी और स्वायत्तशासी संस्थाएं लापरवाह दिखाई दीं. सुस्ती का आलम यह रहा कि शासन स्तर से कई बार आदेश जारी होने के बावजूद भी इन आदेशों को ठेंगा दिखाया गया.
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मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने एक बार फिर अधिकारियों को पत्र भेजकर प्रमोशन की मौजूदा स्थिति बताने के निर्देश दिए हैं. यही नहीं जिन विभागों में अब तक डीपीसी नहीं हुई है और प्रमोशन लटके हुए हैं, ऐसे अधिकारियों से भी इसकी वजह पूछी गई है.
बता दें कि प्रदेश में राज्य सरकार 25000 पदों पर भर्ती निकालने की बात कहती रही है. लेकिन कई पद ऐसे हैं जो कर्मचारियों के प्रमोशन के बाद खाली होंगे. उसके बाद ही युवाओं को मौका मिल पाएगा. मगर अधिकारियों की लापरवाही कहें या सुस्त रवैया कि सरकार की इस मंशा को पूरा नहीं किया जा सका है. खास बात यह है कि कर्मचारी संगठन भी इस मामले पर अपनी बात सरकार के सामने रखते रहे हैं.
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के प्रवक्ता अरुण पांडे कहते हैं कि कर्मचारी संगठन कई बार प्रमोशन प्रक्रिया को पूरी करने की बात कह चुकी है. इसके बावजूद अधिकारी डीपीसी की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर रहे हैं. अरुण पांडे बताते हैं कि सरकार जिन अधिकारियों के भरोसे पर चल रही है, वह अधिकारी सरकार के वादों और घोषणाओं पर पलीता लगा रहे हैं.
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उत्तराखंड में साल 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. जबकि आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार देने के लिए नियुक्तियां निकालनी हैं. ऐसे में यदि शासन स्तर पर पदोन्नति के पदों को नहीं भरा जाता तो कई पद सीधी भर्ती के लिए खाली नहीं हो पाएंगे. इन पर नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू नहीं किया जा सकेगा.
राज्य सरकार की तरफ से प्रमोशन के लिए निश्चित समय भी तय किया गया है. लेकिन समय सीमा खत्म होने के बाद भी विभिन्न विभागों और संस्थाओं में डीपीसी नहीं हो पाई है. जाहिर है कि अब चुनाव नजदीक है, ऐसे में इन पदों पर नई भर्ती करना मुमकिन नहीं दिखाई दे रहा. जिसके लिए सीधे तौर पर शासन के अधिकारी जिम्मेदार माने जा सकते हैं.
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वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि यह शासन की घोर लापरवाही है कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद भी डीपीसी नहीं की जा रही. प्रमोशन न होने से सीधी भर्ती पर इसका असर पड़ रहा है.