देहरादून: राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हर चुनाव में महिला मतदाता बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इसी क्रम में आगामी 11 अप्रैल को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं. जिसमें इस बार प्रदेश की 36,45,047 महिला मतदाता हिस्सा ले रही हैं.
चुनाव में बढ़ रहा महिलाओं का मतदान प्रतिशत. बता दें कि राज्य गठन के बाद 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 52.64 था. साल 2017 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.30 फीसदी तक पहुंच गया था. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 44.49 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. साल 2014 में ये आंकड़ा बढ़ कर 63.05 फीसदी तक पहुंच गया था. ये सभी आंकड़े इस बात को साफ करते हैं कि प्रदेश की महिलाएं अपने मताधिकार को लेकर कितनी जागरूक हैं.
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वहीं, इस मामले में समाजसेवी साधना शर्मा का कहना है कि यह गर्व की बात है कि हमारे प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. लेकिन दूसरी ओर महिलाओं को अपने मताधिकार को लेकर और अधिक जागरूक होने की जरूरत है. साधना शर्मा ने कहा कि आज भी कई महिलाएं अपने पति, पिता या किसी परिवार के सदस्य के बहकावे में आकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करती हैं. जबकि महिलाओं को अपने विवेक से किसी प्रत्याशी या दल का चुनाव करना चाहिए.
समाजसेवी साधना शर्मा ने कहा कि राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी है. लेकिन आज भी कई राजनीतिक दल महिला प्रत्याशियों पर कम भरोसा दिखाते हैं. साधना ने सवाल करते हुए कहा कि अगर महिलाएं चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कौन उठाएगा या फिर इस पर कौन काम करेगा.
वहीं, राजधानी देहरादून की कुछ महिला मतदाताओं का कहना था कि महिलाओं को मतदान वाले दिन अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. लेकिन मतदान सिर्फ उसी प्रत्याशी के लिए करना चाहिए जो भविष्य में महिलाओं के लिए कोई कार्य कर सके. उन्होंने कहा कि आज भी प्रदेश में महिलाओं के लिए बेहतर अस्पताल नहीं है और कई अस्पतालों में महिला डॉक्टर्स भी नहीं हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार चाहे जिसकी भी बने उन्हें महिलाओं को लेकर गंभीरता से कदम उठाने होंगे.