हल्द्वानी: जोशीमठ में फूलों की घाटी के नाम से मशहूर राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी अभ्यारण में हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. जिससे राज्य सरकार को अच्छी-खासी आमदनी हुई है. साथ ही हर साल फूलों की घाटी का दीदार करने वाले सैलानियों की तादाद लगातार बढ़ रही है.
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला है कि राज्य गठन से अबतक करीब 1,05,687 पर्यटक विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं. जिसमें 8 हजार 299 से ज्यादा विदेशी सैलानी थे. वहीं, वैली ऑफ फ्लावर्स में इन पर्यटकों की आमद से सरकार को करीब एक करोड़ 44 लाख 888 रुपए की आमदनी भी हुई है.
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बता दें कि उत्तराखंड के सीमांत चमोली जनपद के उच्च हिमालयी छेत्र में समुद्रतल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 87.5 वर्ग किलोमीटर छेत्र में फैली यह घाटी कुदरत का बेजोड़ नमूना है. ये वही घाटी है, जिसका ज़िक्र रामायण और महाभारत में नंदकानन के नाम से हुआ है, लेकिन वर्तमान में इस घाटी का पता सबसे पहले वर्ष 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डस्वर्थ ने लगाया. इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में दोबारा घाटी में आये और 1938 में वैली ऑफ फ्लावर्स के नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई. साल 1982 में फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. हिमाच्छादित पर्वत से घिरी ये घाटी हर साल बर्फ पिघलने के बाद खुद-बखुद बेशुमार फूलों से भर जाती है.
हल्द्वानी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया का कहना है कि देश-विदेश से हजारों पर्यटक जोशीमठ स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पहुंचते हैं. ऐसे में राज्य सरकार को इस फूलों की घाटी के उत्थान और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए. जिससे यहां आने वाले पर्यटकों की की संख्या में इजाफा बना रहा है और इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सके.