देहरादून:प्रदेश में डबल इंजन का नारा लगाकर सत्ता में आई त्रिवेंद्र सरकार ही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की रफ्तार को धीमी कर रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक 1 लाख 24 हजार बेघर लोगों को घर देने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इस योजना के तहत अब तक मात्र 224 आवासों का ही आवंटन हो पाया है. जिनमें से भी केवल 130 जरुरतमंद ही इस योजना का सदुपयोग कर रहें है, बाकी के 75 से ज्यादा आवास ऐसे हैं जिन पर कब्जा लेने के बाद भी ताला लटका हुआ है.
हर परिवार को छत मुहैया करवाने के उद्देश्य के पीएम मोदी ने 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत 2022 तक तक गरीबों को उनके सामर्थ्य के अनुसार तकरीबन 20 लाख आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया था. इसी क्रम में उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास बनाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश में ये योजना रेंग-रेंग कर ही चल रही है. जिसके कारण प्रदेश के जरुरतमंद लोगों को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण
सरकारों द्वारा गरीबों को घर उपलब्ध करवाने के नाम पर लायी गयी इस योजना की तस्वीर आंकड़ों के रूप में तो चमकती दिखाई देती है लेकिन जब बात धरातल की होती है तो ये हकीकत स्याह नजर आती है. जिससे सरकारों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगते हैं. उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पंख देने के लिए लक्ष्य तो बड़ा रख दिया लेकिन शायद वे इसे गंभीरता से ले नहीं पाये, ऐसा हम नहीं कह रहे. राज्य में इस योजना के जो आंकड़े निकलकर सामने आये हैं वो इस ओर इशारा कर रहे हैं.
पढ़ें-बेटी पैदा होने पर पत्नी को दिया तलाक, पुलिस ने शुरू की जांच
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास देने का लक्ष्य रखा गया लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया इस योजना की गति धीमी होती गई. प्रदेश में इस योजना के पहला प्रोजेक्ट राजधानी देहरादून में लगाया गया. इसके लिए नगर निगम देहरादून ने 224 आवेदकों के साथ 60 वेटिंग यानी कुल 284 लाभार्थियों का सत्यापन किया. जिसके बाद लॉटरी के माध्यम से सत्यापन कर नोडल एजेंसी देहरादून द्वारा मसूरी देहरादून प्राधिकरण को भेजे गये.