मां गंगा की गोद में सजी कवियों की सुरमयी महफिल, देखें वीडियो
बनारस को बना हुआ रस कहते हैं. इसमें हर वो रस है जो इस शहर को और अपना बनाता है. इसलिए बनारस को लेकर कहा भी जाता है कि जहां खाक भी उस जमीं का पारस है, वो अपना शहर बनारस हैं. ऐसे में यदि यहां के साहित्यिक रंग की बात करें तो इसका भी कोई जवाब नहीं है. वहीं जब यह साहित्यिक रंग मां गंगा की गोद में सजा हो तो साहित्य रस का आनंद (enjoyment of literature) दो गुना हो जाता है. ETV Bharat एक ऐसे ही साहित्यिक रस में आपको लेकर जा रहा है जहां एक ओर जहां गंगा की अविरल धारा (uninterrupted stream of the Ganges) बह रही है तो दूसरी ओर काव्यमयी गंगा बह रही है. इसमें अपने लेखनी के माध्यम से कवि बनारस और भारत का वर्णन कर रहे तो वहीं गजलों के माध्यम में कुछ प्रेम का वर्णन कर रहे हैं. देखें वीडियो..