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वाराणसी: इन्द्रेश कुमार ने महिलाओं से राखी बंधवाकर समरसता का दिया संदेश

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयुक्त तत्वावधान में रिश्तों का सम्मान और राखी से वैश्विक समरसता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने सभी समाज की महिलाओं से राखी बंधवाकर सामाजिक समरसता का संदेश देने की बात कही.

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महिलाओं ने इंद्रेश कुमार को राखी बांधी.

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Published : Sep 11, 2020, 3:30 PM IST

वाराणसी: विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयुक्त तत्वावधान में इन्द्रेश नगर (लमही) के सुभाष भवन में रिश्तों का सम्मान और राखी से वैश्विक समरसता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार रहे. विशाल भारत संस्थान ने वंचित समूहों के कुछ प्रतिनिधियों को बुलाकर रिश्तों से जोड़ने की शुरुआत की. किन्नर समाज, बांसफोर समाज, तलाक पीड़ित मुस्लिम और नट समाज की महिलाओं को आमंत्रित किया गया. इन्द्रेश कुमार ने सभी समाज की महिलाओं से राखी बंधवाकर सामाजिक समरसता और बराबरी का संदेश देने की कोशिश की.

इन्द्रेश कुमार ने पश्चिमी देशों की प्रगतिशीलता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा किया कि जो देश सबसे अधिक मानवाधिकार की बात करते हैं, वो गोरे-काले के रंग भेद से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम देश अपने धर्म की वकालत समानता के आधार पर करते हैं, वे देश लिंग भेद से जूझ रहे हैं और आज तक मस्जिदों में महिलाओं को नमाज पढ़ने का अधिकार नहीं दिला पाए. किन्नर समाज और तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को समाज में स्थान दिलाकर मुख्यधारा से जोड़ने का अभियान विशाल भारत संस्थान अनवरत चला रहा है.

उन्होंने कहा कि धर्म स्थलों पर सबको समान अधिकार मिले, पूजा करने और कराने का अधिकार सबको प्राप्त हो, यह सबकी जिम्मेदारी है. यह तभी सम्भव है जब व्यवहारिक स्तर पर कार्य हो. इन्द्रेश कुमार ने राखी बंधवाकर उन लोगों में भी रिश्तों का एहसास करा दिया, जिनके रिश्तेदारों ने उन्हें कभी सम्मान नहीं दिया.

इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि विश्व के सभी नेताओं को समाज सुधारकों के साथ मिलकर इंसानियत को कलंकित करने वाले सभी तरह के भेद, छूआछूत को खत्म करने के लिये कदम बढ़ाने चाहिए. विश्व के विकसित देश केवल आर्थिक समृद्धि को विकास का मॉडल न बनाएं, बल्कि समाज में व्याप्त सामाजिक एवं धार्मिक कुरीतियों को खत्म करने की संगठित योजना बनाएं.

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