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वाराणसी के सैकड़ों गांवों में जलसंकट का खतरा, 160 फीट नीचे खिसका वॉटर लेवल

जब गर्मी बढ़ती है तो पानी की किल्लत भी बढ़ जाती है. तब सरकार समेत तमाम लोग ग्राउंड वॉटर की चिंता करते हैं. वाराणसी में जब ग्राउंड वॉटर की चर्चा शुरू हुई तो पता चला कि जमीन के अंदर वॉटर लेवल 160 फीट नीचे खिसक चुका है.

Etv Bharat varanasi groundwater level
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Published : Mar 25, 2023, 3:41 PM IST

पीने के पानी की समस्या हर साल गर्मियों में बढ़ जाती है. देखें वाराणसी के ग्राउंड वॉटर लेवल पर रिपोर्ट

वाराणसी : अगर आप पानी को किसी भी कारण से बर्बाद कर रहे तो सचेत हो जाएं. 40 लाख की आबादी वाले बनारस के सैकड़ों गांवों में जल संकट का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे सैकड़ों गांव बनारस के 4 ब्लॉकों में हैं, जहां वॉटर लेवल नीचे जा रहा है. इस कारण यह ब्लॉक क्रिटिकल जोन में आ गए हैं. क्रिटिकल जोन में जाने की वजह से इन गांवों में पानी की किल्लत और बढ़ने जा रही है. भीषण गर्मी की भविष्यवाणियां पानी की किल्लत के चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा रही हैं.

इस बार गर्मी में बनारस पानी की किल्लत से जूझ सकता है. जलसंकट को लेकर के वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी जारी की है. वाराणसी में बीएचयू के गंगा वैज्ञानिकों का दावा है कि वाराणसी के कुछ ब्लॉक में पानी लगभग 160 फीट नीचे खिसक चुका है, जो बड़े जल संकट की तस्वीर प्रस्तुत कर सकता है. महामना मालवीय शोध गंगा केंद्र के निदेशक प्रो बीडी त्रिपाठी का कहना है कि मार्च महीने से ही ऐसी भीषण गर्मी पड़ने लगी है, जैसी पहले अप्रैल के मध्य में पड़ती थी. ऐसे में पानी का संकट होने का खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि भू जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. इसके साथ ही तालाब समेत पानी के अन्य स्रोतों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है. कई तलाब और कुएं पाट दिए गए हैं. इस तरह भूजल को संरक्षित करने के स्रोत धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं. यानी इस गर्मी में पेयजल की किल्लत होने की आशंका बढ़ गई है.

सेन्ट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी के कई इलाकों में इस बार जल संकट गहरा सकता है.


160 फीट नीचे जा चुका है भू जल स्तर :प्रो बीडी त्रिपाठी को यह जानकारी मिली है कि अराजीलाइन लाइन के इलाके में भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है. यह इलाका नदी के दूर और ऊंचाई पर स्थित है. नदी के आसपास के इलाकों में तो भूजल की स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन सुदूर और ऊंचे इलाके में पानी का लेवल घटता जा रहा है. उन्होंने बताया कि अराजीलाइन में पहले जहां 60 फीट पर पानी आ जाता था, वहां 160 फीट के नीचे पानी चला गया है. लोगों को पंप लगा कर पानी को खींचना पड़ता है. अगर हमें वॉटर क्राइसिस की भयावहता से बचना है तो अलग-अलग स्रोतों से पानी को संरक्षित करना शुरू कर दें और जल के दोहन को रोके.


60-70 सेंटीमीटर पानी हर साल जा रहा नीचे :सेन्ट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, शहर के चिरईगांव और पिंडरा ब्लॉक दोनों ही क्रिटिकल जोन में जा चुके हैं. विकासखंड आराजीलाइन, बड़ागांव, हराहुवा, चोलपुर की स्थिति भी पानी के मामले में काफी गंभीर है. जानकारों के मुताबिक शहर के अन्य इलाकों की भी हालत जल्द ही ऐसी ही होने वाली है. भूगर्भ विभाग के अनुसार, हर साल 60-70 सेंटीमीटर पानी नीचे जा रहा है. 40 लाख की आबादी है और लगभग डेढ़ लाख पानी कनेक्शन लगे हैं. इतना ही नहीं आज लगभग हर दूसरे घर में समर्सिबल पंप लगे हुए हैं. यानी की भारी मात्रा में जल का दोहन हो रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो शहर वासियों को पानी की किल्लत के लिए तैयार रहना होगा.


प्रति दिन बर्बाद हो रहा डेढ़ लाख लीटर पानी : शहर भर में फैले गाड़ियों की धुलाई के सर्विस सेंटर और पानी के कारोबारी भूगर्भ जल का लगातर दोहन कर रहे हैं. इन कारणों से भी वॉटर लेवल इतना गिरा है कि शहर के दो इलाके क्रिटिकल जोन में आ गए हैं. आंकड़ों में अगर बात करें तो समर्सिबल पंप लगाकर वाहनों की धुलाई करने वाले सर्विस सेंटरों की संख्या 100 से अधिक है. सिर्फ इन्हीं सर्विस सेंटरों से प्रति दिन लगभग डेढ़ लाख लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है. घरों में लगे सबमर्सिबल पंप से कुछ लोग पानी का कारोबार कर रहे हैं. ऐसे में पानी का दोहन बहुत ज्यादा मात्रा में हो रहा है. भूगर्भ विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो कई इलाके पेयजल संकट से जूझेंगे.

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