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अब विश्वनाथ मंदिर नहीं बल्कि बाबा विश्वनाथ धाम कहिए

विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से बाबा विश्वनाथ धाम तक के सफर में अभी लगभग 2 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा, लेकिन ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक अब मां गंगा का तट साफ दिखने लगा है और कॉरिडोर का भव्य रूप भी सामने आ रहा है.

काशी को एक नई पहचान इस कॉरिडोर के रूप में मिल जाएगी.

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Published : Mar 7, 2019, 9:06 AM IST

वाराणसी: काशी को यहां पर विराजमान श्री विश्वनाथ भगवान के शहर के रूप में जाना जाता है, लेकिन अब महादेव की इस नगरी को विश्वनाथ मंदिर के नाम से नहीं बल्कि बाबा विश्वनाथ धाम के नाम से जाना जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी 8 मार्च को विश्वनाथ कॉरिडोर का भूमि पूजन कर इसके निर्माण की शुरुआत कर देंगे.

विश्वनाथ कॉरिडोर की शुरुआत के साथ ही इसकी भव्यता को देखते हुए इस पूरे परिसर का नाम सीएम योगी ने बाबा विश्वनाथ धाम रखने की तैयारी कर ली है. यहां पर महज डेढ़ साल में 200 से ज्यादा भवनों को गिराने के साथ ही 300 भवनों की रजिस्ट्री का काम पूरा हुआ और अब तक लगभग 25,000 स्क्वायर फीट से ज्यादा की जगह विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए खाली जमीन के रूप में सामने भी आ गई है.

काशी को एक नई पहचान इस कॉरिडोर के रूप में मिल जाएगी.

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि 7 लाख स्क्वायर फीट में इस कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है, 5 लाख स्क्वायर फीट में भक्तों को मिलने वाली सुविधाओं को विस्तार से रखा जाएगा. लगभग 800 मीटर लंबे ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर के रास्ते में अब तक 40 से ज्यादा मंदिर सामने आए हैं, जो कितने पुराने हैं इसका अंदाजा भी अब तक नहीं लग सका है.

अधिकारियों का कहना है, कि विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद भक्तों को जिस तरह की सुविधाएं मिलेंगी वह विश्वस्तरीय होंगी. जिस हिसाब से आधुनिक वक्त में भक्तों को टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल करते हुए चीजों की जरूरत है, उन चीजों का ध्यान भी इस कॉरिडोर में रखा जाएगा, जिसके बाद काशी को एक नई पहचान इस कॉरिडोर के रूप में मिल जाएगी.

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