वाराणसी: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है और मोक्ष के लिए काशी के मणिकर्णिका घाट को प्रधान तीर्थ के रूप में जाना जाता है. यह घाट अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि यहां पर माता पार्वती और भगवान शंकर की मौजूदगी में महादेव के कानों के कुंडल की मणि गिरी थी. जिसकी वजह से इस स्थान का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया. मोक्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण इस घाट की स्थिति इन दिनों बद से बदतर हो गई है. जिसकी बड़ी वजह बाबा विश्वनाथ मंदिर विस्तार के नाम पर तैयार कराए जा रहे विश्वनाथ कॉरिडोर को बताया जा रहा है.
हालात यह है कि यहां आने वाले तीर्थ यात्री, शव यात्री या फिर पर्यटक हर वक्त बहने वाले सीवर के गंदे पानी से होते हुए गुजरने के लिए मजबूर हैं. शहर दक्षिणी विधानसभा की स्थिति इस समय एकदम दयनीय हो गई है.
गंगा भी हो रही प्रदूषित
मणिकर्णिका घाट पर दूर-दूर से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. पिंडदान या फिर अन्य श्राद्ध कर्म करने के लिए भी यह घाट महत्वपूर्ण है. बड़ी संख्या में दक्षिण भारत समेत देश के अलग-अलग हिस्से से लोग यहां पर पूजा-पाठ व श्राद्ध कर्म कराने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों इस मोक्ष घाट की हालत बद से बदतर है. चारों और बह रहा सीवर और गंदा पानी ना सिर्फ गलियों में भरा हुआ है, बल्कि घाटों की सीढ़ियों से होता हुआ यह सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है. यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद मां गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के दावे किए थे. इसके बाद भी बाबा विश्वनाथ से सटे इस इलाके में सीवर का पानी गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही यहां आने वाले लोगों की आस्था से भी खिलवाड़ हो रहा है.
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