उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मनुष्यों में फिंगरप्रिंट पैटर्न के लिए जिम्मेदार जीन की खोज करने वाले वैश्विक शोध दल में बीएचयू की वैज्ञानिक भी शामिल - बीएचयू की खबरें

विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष के शोध पत्रों में से एक सेल (CELL) में हाल ही में प्रकाशित एक अभूतपूर्व शोध में पाया गया है कि मनुष्यों में फिंगरप्रिंट पैटर्न अंग विकास जीन द्वारा निर्धारित होते हैं.

वाराणसी की खबरें
वाराणसी की खबरें

By

Published : Jan 11, 2022, 8:05 PM IST

वाराणसी :विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष के शोध पत्रों में से एक सेल (CELL) में हाल ही में प्रकाशित एक अभूतपूर्व शोध में पाया गया है कि मनुष्यों में फिंगरप्रिंट पैटर्न अंग विकास जीन द्वारा निर्धारित होते हैं. ये अध्ययन चीन, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका और भारत के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट पैटर्न के जेनेटिक्स पर आधारित है. इस अध्ययन में देखा गया कि मानव में फिंगर प्रिंट पैटर्न त्वचा जीन द्वारा ना होकर अंग विकास जीन द्वारा निर्धारित होते हैं.

इस वैश्विक शोध टीम में भारत की ओर से एकमात्र वैज्ञानिक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के सेन्टर फार जेनेटिक डिसआर्डर्स की डा. चंदना भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण शोध योगदान दिया. किसी भी मनुष्य का फिंगरप्रिंट एक व्यक्ति की पहचान होती है और यह तीन प्रकार के होते है, जिन्हें आर्च, लूप और व्होर्ल कहते हैं.

फिंगरप्रिंट पैटर्निंग के लिए जिम्मेदार जीन्स को समझने के लिए टीम ने विश्व के 23000 से अधिक व्यक्तियों के डीएनए का अध्ययन किया और फिंगरप्रिंट पैटर्निंग में योगदान देने वाले 43 एसनपी (म्यूटेशन) की पहचान की. इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने पाया कि इनमें से ज्यादातर म्यूटेशन त्वचा के विकास से संबंधित जीन के बजाय अंग विकास से जुड़े जीन्स हैं. इन जीन्स में मुख्य रूप से एक EVI1 नामक जीन पाया गया, जो भ्रूण अंग विकास में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है.

जब टीम ने EVI1 जीन को चूहों में परीक्षण किया, तो उन्होंने पाया कि EVI1 की कम एक्सप्रेशन वाले जेनेटिक्ली मॉडिफ़ायड चूहों ने सामान्य चूहों की तुलना में अपने डिजिट्स पर असामान्य पैटर्न विकसित किए. इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि हाथ और फिंगरप्रिंट पैटर्न का अनुपात आपस में संबंधित है. उदाहरण के लिए, अपने दोनों छोटी उंगलियों पर जिन व्यक्तियों में व्होर्ल के आकार पाए जाते हैं, उनकी छोटी उंगलियां लम्बी होती हैं.

इसे भी पढ़ें-मौर्य के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बदला ऊंचाहार सीट का गणित, BJP में जा सकते हैं SP MLA मनोज पांडेय

डॉ चंदना ने बताया की चूहों में कोई फ़िंगरप्रिंट नहीं होते हैं, लेकिन लकीरें (रिजेज) पायी जाती हैं, जिनकी गणना करना बहुत ही दिलचस्प था और उसके लिए हमने एक नयी विधि ईजाद की. उसके बाद हमने जेनेटिक्ली मॉडिफ़ायड और सामान्य चूहों के बीच रिडजस पैटर्न की तुलना की और मनुष्यों के समान ही परिणाम पाया. सीजीडी के समन्वयक प्रो परिमल दास ने कहा “नयी तकनीकी जैसे, जीन अध्ययन, प्रोटीन नेट्वर्क, पॉप्युलेशन जेनेटिक्स का इस्तेमाल कोंप्लेक्स ट्रेट के अध्ययन में बहुत लाभकारी है और इस समय की माँग भी है.

विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा “अंग विकास के साथ फ़िंगरप्रिंट पैटर्न का जुड़ाव विकासात्मक जीव विज्ञान का एक नया आयाम है जिसके महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं. इस अध्ययन में डॉ चंदना की भागीदारी उनके ह्यूमन फेनोटीपीस के रहस्यों को जानने के लिए उनकी महत्वपूर्ण जिग्यासा को दर्शाती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details