वाराणसी : फागुन में गुलाल उड़ाने का इंतजार तो हर किसी को होता है. रंगों में सराबोर जब होली के गानों पर कदम थिरकते हैं तो देश में एक अलग ही तरह की खुशी देखने को मिलती है. जब बात त्योहारों की चल रही हो तो बाबा भोले की नगरी काशी को कैसे भूल सकते हैं. काशी में हर त्योहार का अपना अलग ही रंग होता है. यहां की होली भी अपने आप में एक अलग ही खासियत रखती है. काशी में इस त्योहार को मनाने के अपने अलग ही तौर तरीके हैं, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा निराले हैं.
काशी की होली शुरू होती है उन कवियों के साथ जो न सिर्फ रंगों की परिभाषा जानते हैं, बल्कि देश प्रेम से ओत-प्रोत प्रदेशों के लिए ऐसी कविताएं लेकर आते हैं, जो इनके अंदर एकता का भाव भर देती है. गंगा की लहरों पर अक्षरी त्योहार के आस-पास मनाते हुए लोग मिल जाएंगे.