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काशी में होली की हुई शुरूआत, पिस रही भांग, उड़ रहा गुलाल - फागुन में गुलाल

काशी में हर त्योहार का अपना अलग ही रंग होता है. यहां की होली भी अपने आप में अलग ही है. काशी की होली शुरू होती है उन कवियों के साथ जो न सिर्फ रंगों की परिभाषा जानते हैं, बल्कि देश प्रेम से ओत-प्रोत प्रदेशों के लिए ऐसी कविताएं लेकर आते हैं.

कवियों की कविताओं से काशी में होली का उड़ा गुलाल

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Published : Mar 15, 2019, 11:48 AM IST

वाराणसी : फागुन में गुलाल उड़ाने का इंतजार तो हर किसी को होता है. रंगों में सराबोर जब होली के गानों पर कदम थिरकते हैं तो देश में एक अलग ही तरह की खुशी देखने को मिलती है. जब बात त्योहारों की चल रही हो तो बाबा भोले की नगरी काशी को कैसे भूल सकते हैं. काशी में हर त्योहार का अपना अलग ही रंग होता है. यहां की होली भी अपने आप में एक अलग ही खासियत रखती है. काशी में इस त्योहार को मनाने के अपने अलग ही तौर तरीके हैं, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा निराले हैं.

कवियों की कविताओं से काशी में होली का उड़ा गुलाल.

काशी की होली शुरू होती है उन कवियों के साथ जो न सिर्फ रंगों की परिभाषा जानते हैं, बल्कि देश प्रेम से ओत-प्रोत प्रदेशों के लिए ऐसी कविताएं लेकर आते हैं, जो इनके अंदर एकता का भाव भर देती है. गंगा की लहरों पर अक्षरी त्योहार के आस-पास मनाते हुए लोग मिल जाएंगे.

गंगा की लहरें हो, गुनगुनी धूप और हल्की हवा के बीच ढोलक की थाप पर हारमोनियम की धुनों के साथ बजते मंझीरों की आवाज और फागुन के गानों की आवाज जिनको सुनकर लोग मस्ती के माहौल में आ जाते हैं.

2019 की होली की शुरुआत भी कुछ ऐसी हुई. जब गंगा में नाव पर होली की महफिल सजी और कलाकारों ने शुरू किया कार्यक्रम. जिस तरह पूरा देश हमारे जवानों की वाहवाही करता नजर आ रहा है, उसी तरह हमारे कलाकार भी यह होली का त्योहार देश के जवानों को समर्पित करते हुए नजर आए. भारतीय सेना के प्रति आदर और सम्मान का भाव गानों में दिखा. घाटों पर उमड़ी भीड़ भी इन कलाकारों की वाहवाही किए बिना नहीं रह पाई.

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