वाराणसीः एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के दिन वाराणसी में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की. इससे यहां की हवा जहरीली हो गयी है. क्लाइमेट एजेंडा ने अपनी रिपोर्ट में जिले के 18 जगहों की वायु गुणवत्ता को खराब बताया है.
NGT के प्रतिबंध का नहीं रहा असर
वाराणसीः एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के दिन वाराणसी में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की. इससे यहां की हवा जहरीली हो गयी है. क्लाइमेट एजेंडा ने अपनी रिपोर्ट में जिले के 18 जगहों की वायु गुणवत्ता को खराब बताया है.
NGT के प्रतिबंध का नहीं रहा असर
क्लाइमेट एजेंडा की ओर से पांचवीं बार वायु प्रदूषण की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई. इसमें वाराणसी में हवा की गुणवत्ता ठीक रखने के लिए जारी किए गए एनजीटी के निर्देशों की खुलकर अवहेलना करने की बात कही गई है. जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से प्रतिबंध लागू नहीं कराए जा सके. भगवान भोलेनाथ की नगरी में लोगों ने रोक के बावजूद जमकर आतिशबाजी की. पटाखे फोड़ने से शहर में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर भारत सरकार के मानकों की तुलना में 4 और साढ़े चार गुना अधिक हो गया.
इन क्षेत्रों की हवा हुई जहरीली
रिपोर्ट के मुताबिक आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा. दूसरे स्थान पर पांडेयपुर, इसके बाद सारनाथ, काशी स्टेशन और कचहरी के क्षेत्र रहे. तुलनात्मक तौर पर रविन्द्रपुरी इलाके की हवा साफ रही. इन अध्ययनों का संज्ञान लेते हुए 'राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण' ने अत्यधिक प्रदूषित हवा वाले शहरों में पटाखे के क्रय-विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था. इसके अनुपालन की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने संबंधित जिला प्रशासन को दी थी. जिम्मेदारी के निर्वहन में प्रशासन पूरी तरीके से फिसड्डी साबित हुआ. हवा जहरीली होने से सांस संबंधी रोगों का इलाज कराने वाले बड़े-बुजुर्ग, बच्चे और कोविड-19 मरीजों के सामने एक विकट परिस्थिति पैदा हुई है. अगर प्रशासन ने ध्यान दिया होता तो ऐसी स्थिति होने से रोका जा सकता था. हालांकि शहर में तीन नए वायु गुणवत्ता मापन यंत्रों की स्थापना संबंधी पिछले सप्ताह जारी आदेश एक अच्छी पहल है.