वाराणसी:सनातन धर्म में हर देवी-देवता की पूजा के लिए अलग तिथि और अलग दिन निर्धारित किया गया है. सामान्य तौर पर हर देवी-देवता का पूजन प्रतिमा या तस्वीर के रूप में किया जाता है और उन्हें प्रत्यक्ष रूप से मानकर उनका आह्वान किया जाता है. लेकिन, इस कलयुग में एक ऐसे देवता हैं जो लगातार चलायमान हैं और जिनको प्रत्यक्ष रूप से देखकर उनकी आराधना की जाती है. वह हैं सूर्य देवता. भगवान भास्कर की पूजा और उन्हें जल अर्पित करने मात्र से ही जीवन में बड़े से बड़े कष्ट का निवारण हो जाता है. इन सब के बीच आज सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश हो रहा है और छह माह के लिए सूर्य दक्षिणायन होंगे, यानी उत्तर से दक्षिण की तरफ चलायमान होंगे. जानिए आज कर्क संक्रांति के मौके पर क्या है इसका महत्व और कैसे करें भगवान भास्कर को प्रसन्न.
कर्क संक्रांति के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश कर्क संक्रांति कहलाता है. कर्क संक्रांति पर पूजा-पाठ, जप, तप, स्नान, दान आदि करना लाभकारी माना जाता है. कर्क संक्रांति पर सूर्य पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का भी विधान है. इस दिन से सूर्य देव उत्तर से अपनी दक्षिणी यात्रा शुरू करते हैं, जिसे दक्षिणायन भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन 6 महीने के चरण में भगवान की रात्रि शुरू हो जाती है. कर्क संक्रांति को श्रावण संक्रांति भी कहते हैं. सूर्य के दक्षिणायन होने से रात लंबी और दिन छोटे हो जाते हैं.
पंडित ऋषि की मानें तो कर्क संक्रांति श्रावण मास के आरंभ में होती है और इस दिन सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. कर्क संक्रांति उन लोगों के लिए सबसे अनुकूल समय है जो अपने पितरों, दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं. ऐसी मान्यता है कि सूर्य दक्षिणायन की यात्रा पर निकलने के साथ ही पितरों को दिया गया तर्पण और श्राद्ध कर्म करना फलदायी होता है और पिछड़ों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
इस मंत्र का करें जाप और सूर्य को अर्पित करें जल
- ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
- ॐ मित्राय नमः।।
- ॐ रवये नमः।।
- ॐ सूर्याय नमः।।
- ॐ भानवे नमः।।
- ॐ खगाय नमः।।
- ॐ पूष्णे नमः।।
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।
- ॐ मरीचये नमः।।
- ॐ आदित्याय नमः।।
- ॐ सवित्रे नमः।।
- ॐ अर्काय नमः।।
- ॐ भास्कराय नमः।।