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काशी के तीन विद्वान 5 नदियों के जल और चांदी के बेलपत्र से कराएंगे राम मंदिर का भूमि पूजन

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम में काशी के तीन विद्वान भी शामिल होंगे. वे पांच नदियों के जल और चांदी के बेलपत्र से राम मंदिर का भूमि पूजन कराएंगे. ये तीन विद्वान काशी विद्वत परिषद की तरफ से भेजे जा रहे हैं.

three scholars of kashi will participate in bhoomi poojan program of ram temple in ayodhya
प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी.

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Published : Jul 24, 2020, 8:44 PM IST

वाराणसी:अयोध्या में 5 अगस्त को राम जन्मभूमि स्थल पर भव्य राम मंदिर का शिलान्यास किया जाएगा. भूमि पूजन और शिला पूजन के साथ ही सभी अनुष्ठान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में संपन्न होंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि लंबे वक्त से इंतजार के बाद यह दिन आया है. इसलिए पूजन पाठ से लेकर बाकी कामों में कहीं कोई कमी न रहे, इसका विशेष ध्यान रखने के लिए काशी के विद्वानों को इस पूरे अनुष्ठान को सही तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस काम को संपन्न कराने का जिम्मा काशी विद्वत परिषद को मिला है.

जानकारी देते काशी विद्वत परिषद के महामंत्री.

काशी विद्वत परिषद ने वेद वेदांत, धर्मशास्त्र और ज्योतिष से जुड़े विद्वानों को अयोध्या भेजने की तैयारी की है. बीएचयू के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय, बीएचयू प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय और बीएचयू के ही प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है.

इस बारे में प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि हम तीन लोग काशी से पांच नदियों का जल और चांदी के बेल पत्र लेकर रवाना होंगे. चांदी की आधारशिला पर चांदी के बेलपत्र रखकर यह पूजन संपन्न होगा. पांच नदियों के जल में प्रयागराज से त्रिवेणी, सरयू और नर्मदा नदी का जल पूरे अनुष्ठान में शुद्धिकरण के लिए मौजूद रहेगा. इसके अलावा पूरा शास्त्रीय विधि-विधान से अनुष्ठान संपन्न कराने के लिए हम सभी की निगरानी में यह पूरा आयोजन किया जाएगा.

प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि कहीं कोई कमी न रहे और कहीं कोई गलती न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा. इसके लिए 4 चरणों में पूजन संपन्न होगा. पहला चरण लगभग सुबह 8:30 बजे शुरू होगा, जिसमें गणेश पूजन और गौरी पूजन संपन्न कराया जाएगा. उसके बाद भगवान सूर्य के साथ नवग्रह पूजन संपन्न होगा.

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काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि पांच नदियों के जल से शुद्धीकरण व अन्य कार्यक्रम पूर्ण करने के बाद वरुण, इंद्र समेत अन्य देवी-देवताओं का पूजन संपन्न कर लगभग मध्यान्ह काल 11:40:29 सेकंड से 12:35:9 सेकंड तक के समय में यह पूरा कार्यक्रम संपन्न कराया जाएगा. इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि इसी काल और मुहूर्त में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. इसलिए शास्त्रीय मत को ध्यान में रखते हुए यह पूरा अनुष्ठान संपन्न होगा.

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