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नए साल पर ग्रहों की इस स्थिति से बनेगा अद्भुत योग, नहीं दिखेगा कोई भी ग्रहण, सभी के लिए खास है 2024

नए साल (New Year 2024 planets) का आगाज हो चुका है. लोग नए संकल्पों के साथ इस नूतन वर्ष का अभिनंदन कर रहे हैं. वहीं ज्योतिष आचार्य कई मायने में इस साल को खास बता रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 1, 2024, 10:30 AM IST

वाराणसी :आज से नए साल की शुरुआत हो चुकी है. साल 2024 कई मायने में लोगों के लिए खास रहने वाला है. ग्रहों की चाल हर किसी को फायदा पहुंचाएगी. इस साल कोई ग्रहण भी नहीं लगेगा. नववर्ष 2024 का आगमन कन्या लग्न, सिंह राशी, मघा नक्षत्र में हुआ है.यजो कई मामलों में अतिशुभ और विशेष है. ज्योतिष आचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक नए साल पर लग्नेश बुध पराक्रम भाव मंगल के घर में भाग्येश शुक्र के साथ विराजमान होकर भाग्य भाव पर अपनी सप्तम पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं. वहीं, धर्म-अध्यात्म लक्ष्मी का कारक ग्रह देवगुरु बृहस्पति अष्टम भाव में विराजमान है. भारत की कुंडली में भी सभी ग्रह अनुकूल हैं. कुल मिलाकर यह वर्ष भारतीयों के लिए बेहद उत्कर्ष रहने वाला है.

भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी :ज्योतिष आचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि धार्मिक दृष्टि से भी साल 2024 खास है. 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर में युग-युगांतर के लिए दर्शन-पूजन का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा. यह अपने-आप में देवगुरु बृहस्पति के प्रभाव से ऐतिहासिक होगा. यही तक नहीं, अष्टम भाव का बृहस्पति आध्यात्मिक एवं धार्मिक मामलों के कार्यों में अचानक लाभ दिलाने वाला होगा. आगे भी काशी, मथुरा सहित प्राय: जगहों पर देवगुरु बृहस्पति सनातनियों को उनका अधिकार प्राप्त कराएगा. इतना ही नहीं, उपरोक्त दोनों शुभ योग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वैश्विक राजनीति में सर्वोपरी विश्व प्रभुत्ववादी नेतृत्व के रूप में होंगे. इन दोनों शुभ योगों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी.

बड़ी दुर्घटनाओं की संभावना, मिलेगा रोजगार :पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि आयात-निर्यात में और वर्षों के अपेक्षाकृत आशातीत लाभ दिखेगा. युवाओं व बेरोजगारों को यह वर्ष विशेष सफलता देने वाला होगा. देश में प्राय: सभी वर्गों का उत्थान होता नजर आएगा. छठवें भाव में कुंभ राशि अर्थात, शनिदेव अपने स्वगृह मूल त्रिकोण में विराजमान हैं. वहीं, लग्न में केतु हैं. शनि-केतु का खडाष्टक दुर्योग संक्रामक बीमारियों, प्राकृतिक आपदा, भूकंप, महामारी, सुनामी के साथ ही आतंकवादी घटनाओं, रेल, सड़क व हवाई यात्रा में बड़ी दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहेगी. शनि के छठवें भाव में बैठने से भारत समेत पूरे विश्व में बेरोजगारों को रोजगार के मार्ग सुगम होते नजर आएंगे. नौकरशाहों का प्रभुत्व बढ़ेगा. श्रमिक वर्ग, किसान मजदूरों के लिए भारत की कुंडली के गोचर में अष्टमथ शनि विशेष लाभ दिलाने वाला होगा.

नए साल में सभी ग्रह अनुकूल.

पड़ोसी देशों पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा :पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक भारत की गोचर कुंडली में सूर्य-मंगल का संचरण छठवें भाव में होने से पड़ोसी देशों पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा. सेना अपनी शौर्यता को प्रस्तुत करेगी. रक्षा आयुधों की क्रय-विक्रय आदि खूब होंगे, लेकिन केतु के पराक्रम में होने से भारत को पड़ोसी देशों से सर्तक रहने की भी आवश्यकता होगी. देश की विदेश नीति, कूटनीति, मजबूती प्रदान करने वाली होगी. लघु एवं कुटीर उद्योगों में अभिवृद्धि होगी.

बारिश होगी सामान्य, बढ़ेगी पैदावार :वर्षा सामान्य होगी. रबी-खरीफ की फसल अच्छी देखने को मिलेगी. खाद्य पदार्थों का मूल्य तिलहन, दलहन को छोड़कर सामान्य होगा. शेयर मार्केट में मई के बाद उतार-चढ़ाव आदि देखने को मिलेगा. सोना-चांदी में अप्रत्याशित रूप से उतार-चढ़ाव होगा. 2024 खगोलीय दृष्टि से भी बेहद खास होगा. इस वर्ष तीन ग्रहण होंगे और तीनों ही भारत में दृश्यमान नहीं होंगे. अर्थात, नए साल में कोई ग्रहण नहीं है. ऐसा कई दशकों बाद होगा. तीन ग्रहणों में पहला सूर्य ग्रहण, आठ अप्रैल को, 18 सितम्बर को चंद्रग्रहण एवं दो अक्टूबर को दूसरा एवं वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण होगा.

मई-जून में विवाह मुहूर्त का अभाव :शादी-विवाह के मुहूर्त के संबंध में भी यह वर्ष विशेष होगा. इस बार मई से पहले लग्न-मुहूर्त भी बहुत होंगे, लेकिन बृहस्पति-शुक्र के अस्त होने के कारण मई-जून में विवाह मुहूर्त का अभाव रहेगा. काशी की कुंडली में दशमस्थ शनि जो वृषभ लग्न के लिए शनि राजयोगकारी होता है, वहीं, लग्न पर बुध और शुक्र की लग्न पर दृष्टि काशी के लिए बहुत ही उत्थानमय होगा. हालांकि शनि का संचरण जब मकर राशि पर था तब से ही काशी के उत्थान का समय प्रारंभ हो गया था लेकिन गोचर में शनिदेव का संचरण कुंभ राशि अर्थात, स्वगृह मूल त्रिकोण में होने से 2024 में काशी का विकास चरमोत्कर्ष पर होगा. चातुर्दिक विकास दिखेगा. व्यवसायी एवं श्रमिक वर्ग संतुष्ट नजर आएंगे. अष्टम भाव में सूर्य-मंगल की युति होने से अचानक काशी का विस्तार भी संभव है. रुकी हुई योजनाएं पूर्ण होगी तो वहीं, धर्म-पर्यटन से राजस्व की अभिवृद्धि कराने में काशी अग्रणी होगी.

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