उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बनारस के तुलसी घाट पर दिखा द्वापर युग का नजारा, भगवान श्री कृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन

महादेव की नगरी काशी में शुक्रवार को भगवान श्री कृष्ण की नाग नथैया लीला (Nag Nathaiya Leela) को देखने जन सैलाब उमड़ पड़ा. तुलसी घाट पर हर-हर महादेव के जयकारों के बीच लोग लीला देख भावविभोर हो गए.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 8:06 PM IST

बनारस के तुलसी घाट पर नाग नथैया लीला देखने जनसैलाब उमड़ पड़ा.

वाराणसी :महादेव की नगरी काशी सैकड़ों वर्षों से परंपराओं को संजोकर रखा है. इसी में नाम आता है हर साल आयोजित होने वाले नाग नथैया के मंचन का. कहा जाता है कि कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन यह लीला श्रीराम चरित्र मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने इसी घाट पर लगभग 500 वर्ष पहले शुरू की थी. शुक्रवार को तुलसी घाट का नजारा अद्भुत रहा. नाग नथैया को देखने जनसैलाब उमड़ पड़ा.

काशीराज परिवार ने किया परंपरा का निर्वहन

काशीराज परिवार के प्रतिनिधि डॉ. अनंत नारायण सिंह परंपरा का निर्वहन करते हुए विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया में शामिल हुए. भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का दर्शन किया. सैकड़ों वर्षों से काशी राजपरिवार इस लीला में शामिल होता है. वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर शुक्रवार को कुछ देर के लिए द्वापर युग का नजारा देखने को मिला. कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण की गेंद खेलते हुए यमुना में चली गई थी. तब श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का मर्दन कर गेंद बाहर निकाली थी. गोस्वामी तुलसी दास ने यह लीला शुरू की थी. तब से ही इस घाट पर नाग नथैया का मंचन होता है.

भगवान कृष्ण और हर-हर महादेव के लगे जयकारे

मंचन में दिखाया जाता है कि जगत के पालनहार बाल सखाओं के साथ घाट किनारे हाथ में फूल की गेंद लेकर खेलते हुए उसे पानी में उछाल देते हैं. इसके बाद कदंब के पेड़ पर चढ़कर सीधे नदी में छलांग लगा देते हैं. तब नदी के अंदर से कालिया नाग पर सवार होकर बाहर निकलते हैं. इस दौरान काशी गोकुल में तब्दील हो जाती है. हर तरह भगवान कृष्ण और हर-हर महादेव की जय-जयकार होने लगती है. इस अद्भुत लीला का मंचन देख हर कोई अपने आप को धन्य मानता है.

लीला देखने आए लोगों ने कहा- अद्भुत, अविश्वसनीय

नाग नथैया लीला देखने पहुंचे श्रद्धालु सोनू ने बताया पिछले कई वर्षों से भगवान की इस अद्भुत लीला को देखने आ रहा हूं. इस लीला का इंतजार रहता है. यह बिल्कुल सच है. दो पल के लिए ही जब भगवान गंगा में छलांग लगाते हैं तो लगता है कि गंगा यमुना हो गई हैं. और यह कलयुग द्वापर युग में बदल गया है. हर-हर महादेव का उद्घोष चारों ओर गुजरने लगता है. सुष्मिता मिश्रा ने कि कि इस लीला के बारे में बहुत सुना था. आज यहां पर देखने आई हूं. वाकई लोगों में इतना उत्साह है. कुछ पल के लिए तो लग रहा था कि भगवान सचमुच यहां पर आए हैं. यह लीला बहुत ही अद्भुत है और ऐसा विश्व में कहीं देखने को नहीं मिलेगा.

गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू की लीला

इसी तरह संकट मोचन मंदिर के महंत विश्वम्भरनाथ मिश्र कहते हैं कि आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने इसी तट पर इस श्री कृष्ण लीला को प्रारंभ किया था. तब से यह लीला अनवरत चली आ रही है. यह नागन्थया विश्वविख्यात है. द्वापर युग में यमुना विषैली हो गई थीं, तब भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का वध नहीं किया बल्कि उसका मर्दन करके उसे जाने दिया.

यह भी पढ़ें : अब 3D मैप से देख सकेंगे बनारस की भव्यता, वाराणसी में कहां बना है यह 3D स्ट्रक्चर, कैसे देख सकेंगे

यह भी पढ़ें : फिल्म अभिनेत्री सनी लियोनी ने किए बाबा विश्वानाथ के दर्शन, आईएएस अभिषेक सिंह के साथ देखी गंगा आरती

ABOUT THE AUTHOR

...view details