वाराणसीःबनारस शहर ने एक ऐसे इतिहास को संजोकर रखा है जो अखंड भारत की 488 साल पुरानी तस्वीर को बयां करता है. कल्हण द्वारा लिखे गए इस इतिहास का नाम राजतरंगिणी है. आज यह संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में एक प्राचीन धरोहर के रूप में अखंड भारत के कश्मीर की सच्चाई बयां करता है. जिसमें पीओके समेत पूरे कश्मीर को दर्शाया गया है. इस किताब में कश्मीर के इतिहास का वर्णन महाभारत काल से आरंभ किया गया है. जिसमें उस दौर के राजाओं तक इसकी व्याख्या की गई है.
राजतरंगिणी संस्कृत विश्वविद्यालय में उपलब्धः कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी एक संस्कृत ग्रन्थ है.इसमें में कुल 8 अध्याय हैं, जो कश्मीर के राजाओं की सूची और उसके इतिहास का वर्णन करते हैं. इसे पढ़कर कोई भी अखंड भारत के हकीकत व सच्चाई को समझ सकता है. यही नहीं यह विश्व के उन देशों के लिए एक ऐसा लिखित प्रमाण भी है, जो कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के प्रोपोगेंडा में साथ देते हैं. संस्कृत विश्वविद्यालय में उपलब्ध यह किताब 12वीं शताब्दी में महाकवि कल्हण द्वारा लिखी गई थी. राजतरंगिणी आखिरी संस्कृत अनुवादित मूल प्रति है. यह सिर्फ संस्कृत विश्वविद्यालय के पास है. यह किताब मेन्यू स्क्रिप्ट मानी जाती है. इसके बाद अलग-अलग लेखकों ने हिंदी में इसका अनुवाद किया है.
राजतरंगिणी प्राचीन ग्रंथःडॉक्टर राजनाथ ने कहा कि इस किताब का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया के सामने होना चाहिए. भारत के लोगों को भी जानना चाहिए कि कश्मीर का भारत से कितना पुराना संबंध रहा है. कश्मीर सदियों से भारत का अंग रहा है. जब भी लोग मंत्रों का भी वाचन करते हैं तो जम्मूद्वीपे भारतखंडे की बात करते हैं. कल्हण के द्वारा लिखा हुआ राजतरंगिणी प्राचीन काल का ग्रंथ है. जो ये बताता है कि कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है. इस किताब को 1835 में प्रिंट किया गया था. पहले राजाओं के समय में किताबें हस्तलिखित होती थीं. यह कश्मीर के राजाओं का मूल इतिहास था.
कश्मीर को जानने के लिए पढे़ं राजतरंगिणीःलाइब्रेरियन डॉक्टर राजनाथ ने बताया कि इस किताब को कलकत्ता से प्रकाशित किया गया था. इसकी 200 साल पुरानी मूल प्रति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रखी गई है. वहीं BHU के इतिहासकार ने इस बारे में बताया कि राजतरंगिणी कश्मीर के बारे में प्रामाणिक सोर्स है. इस किताब में वहां की व्यवस्था के बारे में, वहां के कल्चर के बारे में, वहां की जातियों के बारे में और वहां की राजव्यवस्था के बारे में भी जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर को जानने के लिए कल्हण द्वारा लिखी गई किताब को पढ़ना होगा. किताब में राजाओं की नीतियों के बारे में भी बताया गया है.