वाराणसी:लगभग 70 सालों से विवाद में पड़े रामलला को अब उनका स्थान मिल गया है. ऐसे में जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए रामालय न्यास को राम मंदिर बनाने दिया जाए, इसकी मांग की है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दी जानकारी. रामालय न्यास को मिले भव्य राम मंदिर बनाने का अधिकार
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि हमारे पास पूरी तैयारी है क्योंकि यह ट्रस्ट आज भी जीवित है. सरकार ट्रस्ट बनाने की बात कर रही है और हमारे पास बना बनाया ट्रस्ट पहले से ही है. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह हमें भव्य राम मंदिर का निर्माण करने की जिम्मेदारी दे. ट्रस्ट का मैप दिखाते हुए उन्होंने बताया कि हमारे पास मंदिर का नक्शा बना हुआ है. मंदिर वेद सम्मत कैसे बने, इसका पूरा खाका हमने तैयार कर लिया है और हम जल्द ही इसे केंद्र सरकार को भी सौंपेंगे.
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राम मंदिर बनाने के लिए रामालय न्यास का किया गया था गठन
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए ऐतिहासिक फैसला आ चुका है. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने ट्रस्ट गठित कर मंदिर निर्माण का आदेश भी दे दिया है. हम बताना चाहते हैं कि सन् 1994 में अयोध्या की श्री राम जन्मभूमि में भव्य-दिव्य और शास्त्रोक्त श्रीराम मन्दिर बनवाने के उद्देश्य से देश के मूर्धन्य धर्माचार्यों की सदस्यता में अयोध्या श्री राम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया गया था.
मन्दिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है रामालय न्यास
न्यास आज भी जीवित है और मन्दिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है. ट्रस्ट की पहली बैठक वाराणसी के पंचगंगा घाट पर हुई थी, जहां चारों शंकराचार्य ने अपनी सहमति दी थी. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिये भूमि और योजना को ट्रस्ट को दिए जाने के सम्बन्ध में हम सरकार से आग्रह करने जा रहे हैं. हम जल्द ही केंद्र सरकार के सामने अपनी बात को रखेंगे, क्योंकि सरकार को भी भव्य राम मंदिर निर्माण की उत्सुकता है, ऐसे में हम ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं, जिसके लिए हम सरकार से मांग करेंगे.