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काशी में दक्षिण भारतीयों की आस्था से रेलवे हुआ मालामाल, 30 फीसद मुनाफा बढ़ा

वाराणसी में दक्षिण भारतीय लोगों के आने के सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. बीते एक साल में काशी आने वाले दक्षिण भारतीयों में 25 से 30 फीसदी की वृद्धि हुई है.

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काशी में दक्षिण भारतीयों की आस्था

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Published : Jan 7, 2023, 6:52 PM IST

काशी में दक्षिण भारतीयों की यात्रा से रेलवे को हो रहा काफी मुनाफा.

वाराणसीः धर्म नगरी काशी का में देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा संख्या दक्षिण भारतीयों की होती है. यह बात रेलवे की ओर से जारी आंकड़ों में सामने आई है. इसके लिए 6 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन काशी से दक्षिण भारत के लिए होता है. इसके बावजूद भी ट्रेनों में वेटिंग खत्म नहीं होती. बड़ी बात यह है कि बीते एक साल में इन ट्रेनों में आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली रही है.

बीते एक साल में काशी पहुंचने वाले दक्षिण भारतीयों की संख्या 25 से 30 फीसदी की वृद्धि

दक्षिण भारतीयों के काशी यात्रा करने से न सिर्फ काशी के पर्यटन को फायदा हो रही है, बल्कि यहां के व्यापारियों को भी खूब लाभ हो रहा है. वहीं, रेलवे (North Indian Railways) को भी इससे काफी लाभ हुआ है. रेलवे अधिकारी गौरव दीक्षित का कहना है कि जब से काशी नए कलेवर में विकसित हुई है. यहां काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बनकर तैयार हुआ है, तब से काशी में दक्षिण भारतीयों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

वाराणसी में दक्षिण भारतीयों की यात्रा में लगातार हो रही है वृद्धि

कैंट स्टेशन निदेशक गौरव दीक्षित ने बताया कि प्रति माह लगभग साढ़े चार लाख से ज्यादा यात्री रेलवे की यात्रा कर वाराणसी में प्रवेश करते हैं. इनमें 30 फीसदी से ज्यादा संख्या दक्षिण भारतीयों की होती है. यानि करीब डेढ़ लाख दक्षिण भारतीय प्रति माह रेलवे से यात्रा करके काशी आते हैं. उन्होंने बताया कि बीते कुछ माह से दक्षिण भारतीयों के आगमन में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसका प्रमुख कारण विश्वनाथ धाम कॉरिडोर है. क्योंकि धाम बनने के बाद से वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वहीं इससे रेलवे के मुनाफे में भी काफी इजाफा हुआ है.

80 करोड़ से ज्यादा हुआ मुनाफाःकैंट स्टेशन निदेशक ने बताया कि प्रत्येक माह यात्रियों के आगमन के कारण रेलवे को लगभग साढ़े छह करोड़ का मुनाफा हो रहा है. यानी कि बीते 1 साल में लगभग 80 करोड़ का मुनाफा काशी से आने वाले यात्रियों ने रेलवे को दिया है. इसमें से लगभग 30 फीसदी से ज्यादा का सहयोग दक्षिण भारत के यात्रियों का है.

वाराणसी में काशी तमिल संगम का हुआ था आयोजन

उन्होंने बताया कि यात्रियों के आगमन के मद्देनजर टिकट बुकिंग में भी जद्दोजहद देखने को मिलती है. धाम के लोकार्पण के साथ ही कुछ दिनों पहले यहां काशी तमिल संगम का आयोजन किया गया. इस दौरान भी दक्षिण भारतीय यात्रियों की ट्रैफिक काशी में और भी ज्यादा देखने को मिली. अभी 22 जनवरी तक सभी दक्षिण भारतीय ट्रेनों के टिकट पहले से ही आरक्षित हो चुके हैं.

6 से ज्यादा ट्रेनों को होता है संचालनःगौरतलब है कि दक्षिण भारत के शहरों में जाने के लिए गंगा कावेरी एक्सप्रेस, पटना एर्नाकुलम सुपरफास्ट एक्सप्रेस, दानापुर सिकंदराबाद एक्सप्रेस, वाराणसी मैसूर एक्सप्रेस जबकि वाराणसी स्टेशन से बनारस रामेश्वरम सुपरफास्ट ट्रेन और अन्य ट्रेने दक्षिण भारत के लिए संचालित की जाती है. वहीं, 20 फीसदी से ज्यादा यात्री हवाई सफर कर काशी आते हैं.

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