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बनारस में एकजुट हुईं मुस्लिम महिलाएं, बोली हिजाब नहीं किताब चाहिए - muslim women in varanasi

हिजाब का मुद्दा अब उत्तर के कई जिलों में फैलने लगा है. वाराणसी में मुस्लिम महिला फाउंडेशन की तरफ से महिलाओं का एक अधिवेशन आयोजित किया गया. अधिवेशन में कई प्रस्ताव पारित किए गए.

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मुस्लिम महिलाएं

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Published : Feb 21, 2022, 7:34 PM IST

वाराणसी: कर्नाटक से पैदा हुए हिजाब विवाद को लेकर अब मामला उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भी फैलता जा रहा है. वाराणसी में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर स्कूल आने को लेकर कुछ लोगों ने विरोध किया. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, मुस्लिम महिलाओं के अधिवेशन का आयोजन भी हुआ. वाराणसी के लमही इलाके में मुस्लिम महिला फाउंडेशन की तरफ से आयोजित अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए.

अधिवेशन में हिजाब प्रकरण से जुड़े मामले को उठाते हुए मुस्लिम महिलाओं ने एकजुट होकर हिजाब नहीं किताब चाहिए का नारा बुलंद किया. मुस्लिम महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने वाली संस्था मुस्लिम महिला फाउण्डेशन ने लमही के सुभाष भवन में द्वितीय मुस्लिम महिला अधिवेशन का आयोजन किया. पहला अधिवेशन 01 दिसम्बर 2013 को पराड़कर भवन में हुआ था, जिसमें ऐतिहासिक तीन तलाक के खिलाफ आन्दोलन पूरे देश में किया गया और संसद से कानून पारित हुआ था.

मुस्लिम महिला अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य इंद्रेश कुमार भी पहुंचे हुए थे. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में बयान भी दिया कि आज ऐसे विवादों को बेवजह पैदा किया जा रहा है. मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने बताया कि इस अधिवेशन में कुछ प्रस्ताव पारित हुए जिनमें मानवता और महिलाओं पर क्रूर अत्याचार जैसी गैर इस्लामिक हलाला कूप्रथा को तुरन्त समाप्त किया जाए. मुस्लिम मर्दों द्वारा अनेक निकाह करना यानी बहुविवाह करना जिसके कारण औरतों की जिंदगी दर–ब–दर होती है और बच्चों का भविष्य बर्बाद होता है. इसलिए अनेक निकाह पर प्रतिबंध लगाये जाए.

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मुसलमानों को गरीबी, बेरोजगारी, अनपढ़ता, पिछड़ेपन, अपराध आदि से मुक्त कराने के लिये परिवार नियोजन अपनाना चाहिए. जिससे संतानें पढ़ी–लिखी, तहजीब वाली, रोजगारयुक्त अपने पैरों पर खड़ी होने वाली बनें. सभी धर्मों में सिख, बौद्ध, ईसाई, सनातन (हिन्दू) आदि में पूजा स्थल पर ईश्वर की पूजा करने का अपने–अपने तरीके से अनुमति है, अधिकार है. मस्जिदों में भी महिला को नमाज पढ़ने का अधिकार मिलना चाहिए. इस्लाम की रोशनी है जिस वतन की हो उसके कायदे कानून को मानों यह ईमान है, जिससे जन्नत (स्वर्ग) है. सेना, कोर्ट-कचहरी, पुलिस, एनसीसी, विद्यालयों आदि संस्थाओं में ड्रेस कोड है और उस ड्रेस कोड के कारण किसी का कोई दीन खतरे में नहीं आया, किसी का कोई मजहब खतरे में नहीं आया. ड्रेस कोड का अर्थ है– हम अनेक जातियों, मजहबों, अमीरी–गरीबी का भेद मिटता है.

नाजनीन अंसारी ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं देशभक्त हैं और नमक हलाल भी. मुस्लिम महिलाओं को योगी सरकार में महत्व दिया गया. आज तक मुस्लिम महिलाएं कहीं गिनती में नहीं थीं. अब जब मुस्लिम महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं तो कुछ लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है. इसलिए हिजाब जैसे विवाद पैदा करके मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने का कुचक्र रचा जा रहा है.

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