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डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा, दलितों का आर्थिक सशक्तीकरण नहीं कर पायीं मायावती - चार बार मुख्यमंत्री

सर्किट हाउस के सभागार में उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने प्रेस वार्ता करते हुए दलित उधमिता के क्षेत्र में लिए गए निर्णयों की जानकारी साझा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश के दलित वर्ग ने बसपा सुप्रीमो मायावती को रिजेक्ट कर दिया है.

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Published : Nov 2, 2022, 7:46 AM IST

Updated : Nov 2, 2022, 9:10 AM IST

वाराणसी. सर्किट हाउस के सभागार में उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने प्रेस वार्ता करते हुए दलित उधमिता के क्षेत्र में लिए गए निर्णयों की जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री अनूसूचित जाति अभ्युदय योजना लागू होने से दलित समुदाय के लोग भी बड़े उद्यमी बन सकेंगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश के दलित वर्ग ने में बसपा सुप्रीमो मायावती को रिजेक्ट कर दिया है.


डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि अनूसूचित जाति वित्त निगम ने पात्रता सीमा 46 हज़ार वार्षिक निर्धारित थी. इसको बदलते हुए आय सीमा से अनूसूचित जाति को पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया है. अनुदान राशि 10 हज़ार रुपये थी उसकी जगह प्रति व्यक्ति अनुदान राशि 50 हज़ार रुपये कर दी गई है. इसके अतिरिक्त दलित बाहुल्य गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था (Arrangement of infrastructure in Dalit majority villages) करने जा रहे हैं.

जानकारी देते डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल.

डॉक्टर निर्मल ने कहा कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट आदेश है कि किसी की भी गरीब की झोपड़ी उजाड़ने से पहले उनके जमीन की व्यवस्था की जाए. उनको आवास दिया जाए. अभी विंध्याचल कॉरिडोर से आ रहा हूं वहां जमीन और आवास के लिए भी व्यवस्था की जा रही है. पूरे प्रदेश में प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है कि गरीबों के घरों पर किसी भी प्रकार से बुलडोजर नहीं चलना चाहिए.



वहीं मायावती के एक बयान को लेकर डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि मायावती को कहने का कोई अधिकार नहीं है. अनूसूचित जातियों के नाम पर उन्होंने चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर के राज किया, लेकिन दलितों का कोई आर्थिक सशक्तिकरण नहीं कर पायीं. अगर वे कर पातीं तो आज इतनी त्रासदी नहीं होती. उनके पास बड़ा सुनहरा अवसर था जिसको खो दिया. इसलिए उन्हें कहने का अब कोई हक नहीं. उनको उत्तर प्रदेश से दलित रिजेक्ट कर चुके हैं.
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Last Updated : Nov 2, 2022, 9:10 AM IST

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