वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में बनारस से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने काशी को बदलने के साथ ही यहां की परंपरा और प्रमाणिकता को बरकरार रखते हुए विकास के दावे किए थे.जो अब कहीं न कहीं अब पूरे होते दिखाई दे रहे हैं. बहुत से प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं और कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिनकी प्लानिंग के बाद काम शुरू होने जा रहा है. ऐसा ही एक प्रोजेक्ट है काशी रेलवे स्टेशन को इंटर मॉडल स्टेशन के रूप में डेवलप करने का. 2017 में 2,200 करोड़ रुपये की लागत से इस स्टेशन को जल, थल और रेल नेटवर्क से जोड़ने की प्लानिंग हुई थी. इसकी डीपीआर तैयार कर और मंजूरी मिलने के बाद अब इस पर जल्द काम शुरू करने की तैयारी की जा रही है.
दरअसल काशी स्टेशन वाराणसी का अंतिम स्टेशन है और इसके बाद मालवीय ब्रिज और फिर सीधे मुगलसराय से बिहार कनेक्ट हो जाता है. काशी के इस अंतिम स्टेशन को हमेशा से ही उपेक्षित समझा जाता रहा, क्योंकि यहां किसी बड़ी ट्रेन का ठहराव और भीड़ नहीं होती है. लेकिन अब इस स्टेशन का कायाकल्प शुरू हो गया है.
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स्टेशन की सजावट के साथ ही स्टेशन के इंटरनल और आउटर एरिया को डेवलप किया जा चुका है. इसके बाद अब काशी स्टेशन से सीधे रोड को कनेक्ट करते हुए रास्ते को सीधे गंगा से जोड़ा जा रहा है. इसके पीछे मकसद यह है कि यूपी में पहला ऐसा स्टेशन इंटर मॉडल रूप में डेवलप करना जो सिर्फ रेल नेटवर्क से ही नहीं बल्कि जल, थल और रेल तीनों नेटवर्क से कनेक्ट होगा.
कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि इसका डीपीआर लगभग फाइनल होने के बाद मंजूरी मिल चुकी है और अब इस पर काम शुरू होने जा रहा है. जो जमीन रेलवे और प्रशासन की है उसको एंक्रोचमेंट फ्री कराने के साथ ही यहां पर जल्द काम शुरू किया जाएगा. स्टेशन के अंतिम छोर से सीधे रोड निकाल कर उसे नमो घाट के अलावा रामनगर स्थित जाहलुपुर बंदरगाह से कनेक्ट किया जाएगा. यहां बंदरगाह 2017-18 में बनकर तैयार हुआ. यहां पर कई बड़े मालवाहक जहाज कंसाइनमेंट लेकर यहां पर पहुंच चुके हैं और यहां से कई कंसाइनमेंट रवाना भी हुए हैं.
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कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि यूपी में पहली बार वाटर सिस्टम के तहत शुरू हुई इस स्कीम को सीधे हल्दिया यानी पश्चिम बंगाल से जोड़ा गया है. यह अपने आप में अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है. इसके अतिरिक्त रिंग रोड और हाईवे से कनेक्ट करते हुए काशी स्टेशन पर बनाए जा रहे टर्मिनल से इसको कनेक्ट किया जाएगा. ताकि एक साथ तीनों की कनेक्टिविटी होने से रेल सड़क और जलमार्ग के नेटवर्क का फायदा सीधे तौर पर बनारस ही नहीं बल्कि बिहार और इससे सटे तमाम राज्यों और अन्य जिलों को भी मिल सके. फिलहाल इस दिशा में जल्द काम शुरू होने जा रहा है. माना जा रहा है कि 2025-26 तक इसको पूर्ण भी किया जाएगा.
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