वाराणसी: काशी में रोजाना बाबा भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाई देती है, लेकिन गणेश चतुर्थी से लेकर 9 दिनों तक गणपति बप्पा मोरिया की गूंज रहती है. पिता भोले की नगरी में वैसे तो पुत्र गणेश के जयकारे हर साल सुनाई देते थे, लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से इस उत्साह में कमी आ गई है. वाराणसी के मराठी बाहुल्य इलाके में होने वाले गणेश उत्सव के आयोजन को इस बार संकुचित रूप में किया जा रहा है. या यूं कहें कि, सिर्फ परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा.
गणेश चतुर्थीः कोविड-19 की वजह से पिता की नगरी में नहीं होगा पुत्र के उत्सव का उल्लास
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच इस बार 22 अगस्त से गणेश उत्सव शुरू होने जा रहा है. वहीं, कोविड-19 गाइडलाइंस के तहत धार्मिक आयोजनों पर रोक है. ऐसे में वाराणसी में रह रहे मराठी परिवार बप्पा के खातिर आयोजन न कर पाने से खासा मायूस हैं.
लगभग 112 सालों से महाराष्ट्र की तर्ज पर नूतन बालक समाज सेवा मंडल गणेश उत्सव का आयोजन करता आ रहा है. भव्य गणेश प्रतिमा की स्थापना के बाद 6 दिनों तक ख्याति उपलब्ध गायकों और कलाकारों की मौजूदगी में भव्य आयोजन होते हैं. बच्चों की कई प्रतियोगिताएं होती हैं और मराठी संस्कृति के अनुसार गीत-संगीत के कार्यक्रम चलते रहते हैं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. सिर्फ छोटी सी गणेश प्रतिमा स्थापित होगी. हालांकि कुछ बड़े आयोजन होंगे, उन्हें ऑनलाइन के जरिए बप्पा के भक्त देख सकेंगे.
वहीं लगभग 125 सालों से गणेश उत्सव का आयोजन करने वाली श्री काशी गणेश उत्सव कमेटी ने भी इस बार आयोजन को समेटने की तैयारी की है. गणेश उत्सव कमेटी के सदस्य सुधीर का कहना है कि इस बार छोटी प्रतिमा रखकर गणेश उत्सव मनाया जाएगा. कोविड-19 के दौर में मराठी परिवार बेहद मायूस हैं. सभी का कहना है कि कभी सपने में नहीं सोचा था कि सैकड़ों साल से हो रही गणेश पूजा पर ऐसे संकट के बादल छाएंगे.