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वाराणसी: भोजपत्र और शाकले से बनी मां जगत जननी इको फ्रेंडली प्रतिमा

पूरे देश में नवरात्र पर्व की धूम मची है. वहीं बाबा शिव की नगरी भी इससे अछूती नहीं है. मूर्तिकारों ने यहां मां दुर्गा की इको फ्रेंडली प्रतिमा बनाई है जो अपने आप में अद्भुत है.

भोजपत्र और शाकले से बनी मां जगत जननी इको फ्रेंडली प्रतिमा.

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Published : Oct 6, 2019, 3:30 PM IST

वाराणसी:नवरात्र में मूर्तिकारों ने मां दुर्गा की इको फ्रेंडली प्रतिमा बनाई है. माना जाता है कि कोलकाता के बाद काशी में दुर्गा पूजा का पर्व बेहद भव्य रूप से मनाया जाता है. ऐसे में मां की प्रतिमा की स्थापना रविवार देर रात पूजा पंडालों में हो जाएगी. वहीं मूर्तिकार भी मां की विदाई की तैयारी में जुटे हैं.

भोजपत्र और शाकले से बनी मां जगत जननी इको फ्रेंडली प्रतिमा.

नदी में प्रतिमा के विसर्जन रोक के बाद इन दिनों इको फ्रेंडली प्रतिमा की डिमांड बढ़ गई है. ऐसे में मां आदिशक्ति की प्रतिमा वाराणसी में बनाई जा रही है, जो बेहद खास है. यह मूर्ति पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसमें खास बात यह है कि यह मूर्ति मिट्टी की नहीं बल्कि हवन सामग्री शाकला की बनी है. प्रतिमा को जो साड़ी पहनाई गई है, वह पूरी तरह से भोजपत्र है. मां का शृंगार भी किया गया है, जो मां की अनुपम छटा को बिखेरे हुए है. मां के श्रृंगार में नथिया, बिंदी, साड़ी का बॉर्डर,अस्त्र-शस्त्र, काले तिल, चावल, मखाने से किया गया है. मां जगदंबा के इस भव्य रूप को बनाने में मूर्तिकार को 3 से 4 महीने का समय लगा है. हालांकि पिछले 3 दिनों की हुई लगातार बारिश से मूर्ति को तैयार होने में थोड़ा विलंब हुआ है.

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बनारस में ऐसी प्रतिमा शायद पहली बार बनी है. यह प्रतिमा पूरी तरह से हवन सामग्री शाकले की बनी है. मां की जो साड़ी है वह भोजपत्र है. मां की मूर्ति बनाने में तीन से चार महीने लगा है.
शीतल कुमार चौरसिया, मूर्तिकार

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