वाराणसी:वाराणसी में छठ पूजा को लेकर काफी उत्साह है. लोग पूजा की तैयारी धूमधाम से कर रहे हैं. यह पर्व लोगों के घरों में खुशियां लाता ही है, साथ में कारोबार में भी वृद्धि होती है. पूजा के लिए प्रयोग होने वाली सामग्री की काफी बिक्री होती है, जिससे कारोबार में अच्छा उछाल आता है. काशी के बर्तन व्यापारी भी इस व्यापार से खुश नजर आ रहे हैं.
जानकारी देते पीतल कारोबारी. दरअसल, इस बार काशी में छठ पूजा को लेकर दोगुनी रौनक देखने को मिल रही है. गंगा जी के घाट पर तैयारी हो रही है. वेदियां तैयार हैं. वहीं, दूसरी ओर काशी के पूजन सामग्री और बर्तन विक्रेता भी काफी खुश हैं. वजह है पीतल के सूप और पूजा करने के बर्तनों की बढ़ी डिमांड. काशी की कला में उपजे पीतल सूप की इस छठ पूजा पर खूब डिमांड बढ़ी है. इसमें कस्टमाइज्ड सूप की भी मांग बढ़ी है. हर साल से ज्यादा इस बार उछाल देखने को मिल रहा है.
काशी में पीतल व्यापारियों को छठी मईया का प्राप्त है आशीर्वाद
काशी में बनी हुई सूप की डिमांड खासा देखने को मिलती है. इस बारे में पीतल कारोबारी बताते हैं कि काशी महादेव की नगरी है. यहां के हर पहलू से अध्यात्म जुड़ा हुआ है. यह आध्यात्मिकता पूजन सामग्रियों में भी देखने को मिलती है. यही वजह है कि छठ में यहां से सूप की डिमांड बाहर भी देखने को मिलती हैं.
उन्होंने बताया कि इसे बनाने में शुद्धता का खासा ध्यान रखा जाता है. धातु की शुद्धता के साथ साफ सफाई भी बरती जाती है. अब कस्टमाइजड सूप बनाया जा रहा है. सूप में अलग तरह की नक्काशी तैयार की जाती है. इसमें भगवान भास्कर का चित्र, कलश, केले के पेड़ इत्यादि लिखा हुआ है.
लगभग 6 करोड़ पहुंचा पीतल के सूप का कारोबार
छठ पूजा में पीतल को बेहद पसंद किया जा रहा है. यही वजह है कि बाजार में सूप के डिमांड की उछाल भी देखने को मिल रही है. पीतल कारोबारी अनिल कसेरा की मानें तो अब तक लगभग 6 करोड़ से ज्यादा के पीतल के सूप का कारोबार हो चुका है. इसका आर्डर वाराणसी ही नहीं पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी आ रहे हैं और लोग पसंद कर रहे हैं.
पीतल में होता है लक्ष्मी का वास
इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि पीतल पीले रंग का धातु होता है जो भगवान विष्णु समेत सभी देवी देवताओं को खासा प्रिय होता है. इसमें लक्ष्मी का वास होता है. पीला रंग बलिदान, त्याग और आध्यात्म का प्रतीक माना जाता है. इसलिए पूजा पाठ में पीतल के धातु का प्रयोग शुभ का परिचायक माना जाता है. उन्होंने बताया कि यही वजह है कि छठ में व्रती महिलाएं पीतल के सूप का प्रयोग करती हैं और भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित करती है. छठ में शुद्धता का खासा ध्यान रखा जाता है और पीतल की धातु शुद्ध मानी जाती है.
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