वाराणसी :कोविड -19 के डेल्टा वेरिएंट को मात देने के लिए योगी सरकार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस को ज़िम्मेदारी सौंपी है. पूर्वांचल में कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने काफी लोगों को प्रभावित किया था.
दूसरी वेव में ये वेरिएंट कैसे पहुंचा और संभावित खतरे के मद्देनज़र डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान के लिए बीएचयू के आईएमएस में अध्ययन शुरू हो गया है. राहत देने की बात ये है कि अभी तक डेल्टा प्लस के लक्षण पूरी जांच में नहीं मिला है.
कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पाये जाने के बाद योगी सरकार अलर्ट हो गई है. सरकार ने लखनऊ और वाराणसी में इस वेरिएंट के अलग-अलग पहलुओं की जांच शुरू करा दी है.
इसके साथ ही डेल्टा प्लस वेरिएंट की जानकारी के लिए बीएचयू के आईएमएस में करीब 50 लोगों की टीम शोध में जुटी है. एमआरयू लैब की नोडल आफिसर प्रो. रोयना सिंह ने बताया कि अभी वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर के सैंपल की जांच की जा रही है.
आरटी पीसीआर जांच के लिए आए हुए सैंपल जिसकी सिटी वैल्यू 25 से कम है, म्यूकर माइकोसिस ( ब्लैक फंगस), ब्रेक थ्रू (वैक्सीन लगवाने के बाद जो कोरोना पॉज़िटिव हुए है) सैंपल की cDNA जीनोम की सीक्वेंसिंग कर स्ट्रक्चर देखा जा रहा है.