वाराणसी: इंसान अक्सर अपनी बीती हुई जिंदगी से सबक लेते हुए की गई गलतियों को सुधारने के उद्देश्य से आने वाले कल को बेहतर करने के बारे में सोचता है. वहीं जब बात काशी की हो तो फिर हर इंसान मोक्ष की चाह में कुछ अनोखा और ऐसा करना चाहता है, जिससे उसका अगला जीवन सुधर जाए. इसी उद्देश्य से वाराणसी के मंडली अस्पताल के बाहर गरीब मरीजों के लिए एक ऐसी सेवा की शुरुआत की गई है जो अपने आप में अनोखी है. यह पहल जिले के कारोबारियों ने मिलकर की है.
वाराणसी: कारोबारियों ने की अनोखी पहल, मरीजों को अस्पताल के बाहर बांट रहे निःशुल्क दूध और खिचड़ी
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मंडली अस्पताल के बाहर गरीब मरीजों के लिए एक ऐसी सेवा की शुरुआत की गई है जो अपने आप में अनोखी है. वहीं इस पहल की शुरुआत जिले के कुछ कारोबारियों ने मिलकर की है.
इस सेवा के तहत मंडलीय अस्पताल में भर्ती गरीब और असहाय मरीजों को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री मुहैया कराया जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस नई शुरुआत की जिम्मेदारी उठाई है जिले के कुछ ऐसे व्यापारियों ने जो अपना जीवन सुखमय तरीके से जी रहे हैं. उनका मानना है कि मरीजों की सेवा सौ गौ दान से भी बड़ी है इसलिए अपना आगम सुधारने के लिए इन लोगों ने यह खास प्रयास किया है.
मंडली अस्पताल के बाहर तंबू कनात में लगी भीड़ को देखकर हर कोई अचानक से रुक जाता है. लोग सोचते हैं यहां किसी कंपनी के ऑफर की जानकारी दी जा रही है, लेकिन जब लोग यहां पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि यह तंबू कनात किसी ऑफर के लिए नहीं बल्कि अस्पताल में भर्ती गरीब मरीजों की सेवा के लिए लगाया गया है. इसकी शुरुआत की है वाराणसी में कारोबार करने वाले शंकर सिंह और उनके कुछ दोस्तों ने. शंकर सिंह की उम्र 66 वर्ष है और उनका कहना है कि अपने जीवन के इतने साल मैं जी चुका हूं और अब ज्यादा से ज्यादा 10 साल 5 साल और जिऊंगा लेकिन मेरा मानना है कि अब मैं कुछ ऐसा करूं कि मेरे जाने के बाद लोग मुझे याद रखें.
बस इसी उद्देश्य से शंकर सिंह के साथ उनके लगभग 6 से ज्यादा व्यापारी दोस्तों ने मिलकर गरीब मरीजों की सेवा करने का एक नया तरीका आजमाया है. उन्होंने मंडली अस्पताल के बाहर एक तंबू कनात लगाकर निशुल्क खाने-पीने की स्वास्थ्यवर्धक चीजें मरीजों के लिए मुहैया कराने की शुरुआत की है, जिसमें दूध, गर्म पानी, दाल का पानी, खिचड़ी इत्यादि मरीजों को फ्री ऑफ कॉस्ट दिया जा रहा है.
मेरा मानना है कि अपने जीवन के अंतिम समय में हरिद्वार और वृंदावन जाने से बेहतर काशी में रहकर मरीजों की सेवा करु. मेरा उद्देश्य लखपति से करोड़पति बनने का नहीं बल्कि अपने आने वाले अगले जीवन को सुधारने का है. बस इसी उद्देश्य से मैंने इस सेवा की शुरुआत की है.
-शंकर सिंह, व्यापारी