वाराणसी : भारत एककृषि प्रधान देश हैऔर यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है, जो पूर्ण रूप से खेती पर निर्भर होती है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संकाय ने पिछले 15 सालके शोध में पाया कि देश में गेहूं की जो पैदावार होती है, उसमें जिंक की मात्रा मात्र 20 प्रतिशत होती है, जिससे लोगों को प्रोटीन और विटामिन मिलने में बेहद ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अब कृषि विज्ञान संकाय ने एक ऐसी फसल तैयार की है, जिसमें लगभग 40 से 45 प्रतिशत जिंक की मात्रा होने की वजह से लोगों को काफी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन मिलेगा.
साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को लेकर पूरे देश में लोगों को यह बताने की कोशिश की थी कि किसान ही हमारा अन्नदाता है और केंद्र की सरकारकिसानों के लिए जो भी बन सकेगा, वहजरूर करेगी.
जानकारी देते बीएचयू के विज्ञान संकाय के प्रोफेसर बी के मिश्रा जिंक की ज्यादा मात्रा वाली गेहूं की फसल तैयार
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कृषि विज्ञान संकाय ने शोध के दौरान यह पाया कि अभी जो भारत में गेहूं की पैदावार हो रही है, उसमें जिंक कीमात्रा बेहद ही कम है, जो मात्र 20 प्रतिशत तक ही सीमित है. इससे देश में, जो लोगभी आटे का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें जिंक की मात्रा कम होने की वजह से प्रोटीन और विटामिन शरीर में कम प्राप्त हो रही है, जिससे लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम होती जा रही है. इसी को देखते हुएकृषि विज्ञान संकाय ने एक ऐसीगेहूं की फसल तैयार की है, जिसमें लगभग 40 से 45 प्रतिशत जिंक ज्यादा मिलता है. लोगों के शरीर में प्रोटीन और विटामिन की कमी अब इस फसल के इस्तेमाल से नहीं होगी.
बीएचयू के कृषि विज्ञान संकाय के प्रोफेसर बी के मिश्रा का कहना है कि जिस फसल की बात कृषि विज्ञान संकाय कर रहा है, यह बेहद ही उन्नत किस्म की फसल है और इस फसल का सेवन करने से लोगों में विटामिन और प्रोटीन की कमी कभी नहीं होगी. लोग स्वस्थ रहेंगे और लोगों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी. वहीं, उनका यह भी कहना है कि 600 से ज्यादा किसान अभी इस फसल को लगाने में लग गए हैं और बीएचयू प्रशासन पूरी तरह से इन किसानों की मदद भी कर रहा है.