वाराणसीःशिवरात्रि महोत्सव का शुक्रवार को समापन हो गया. ये कार्यक्रम 10 मार्च से प्रारंभ होकर शुक्रवार तक चला. जिसमें देशभर के कई कलाकारों ने प्रस्तुति दी, और बाबा दरबार में हाजिरी लगाया. कार्यक्रम देर शाम 7 बजे से प्रारंभ होकर रात 11 बजे तक चला. भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संगीत से युवाओं ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.
30वां शिवरात्रि संगीत महोत्सव बनारस घराने की पहली प्रस्तुति
पहली प्रस्तुति गायन की रही. बनारस घराने के युवा प्रतिनिधि कलाकार राहुल-रोहित मिश्र के गायन से महोत्सव का शुभारंभ हुआ. पद्म विभूषण विदुषी गिरजा देवी के सुयोग्य शिष्य राहुल-रोहित मिश्र ने राग केदार की अवतारणा किया. विलम्बित एक ताल की बन्दिश जोगिया मन भाये और दुरत लय तीन ताल में बन्दिश चॉदनी रात मोको ना सुहाये.
पहली बार काशी में किया प्रस्तुति
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति कथक नृत्य की रही. लोकप्रिय टेलीविजन और फिल्म अभिनेत्री जयपुर घराने की जानी-मानी नृत्यांगना प्राची शाह पाण्डया ने नृत्य की प्रस्तुति दी. उन्होंने शिव स्तुति ‘‘ओम नमस्ते अस्तु भगवान विशेश्वराय’’ से कार्यक्रम आरम्भ किया. इसके बाद गणेश स्तुति ‘विलम्बित तीन ताल में पारम्परिक तोडे़, टुकडे़, चक्करदार तत्पश्चात द्रुत तीन ताल में परन कवित्त और चक्करदार की प्रस्तुति से विशुद्ध जयपुर घराने की झलक दिखायी. विख्यात ठुमरी की रचना ‘‘काहे गये धनश्याम’’ के माध्यम से भाव पक्ष को दिखाया. उनके साथ तबले पर किशोर पाण्डेय, पखावज पर मृषाल उपाध्याय, गायन मे श्राबोनी चौधरी, सारंगी पर शारूख लतीफ खान साहयोगी के रूप में जुडे़.
इस वर्ष के शिवरात्रि संगीत महोत्सव की अंतिम प्रस्तुति के लिए सूफीयाना घराने के विश्व विख्यात कलाकार अभय रूस्तुम सोपोरी मंच पर आये. विख्यात कलाकार पंद्मश्री पंडित भजन सोपोरी के सुपुत्र श्री अभय जी सोपोरी बाज के विशेषज्ञ हैं. बोल के संरचनाओं की विभिन्न लयकारी के साथ छन्दकारी आलाप और जोड़, मिन्ड और जमजमा संतुर के माध्यम से अभय जी ने सुनाया. उन्होंने राग रागेश्वरी कौश की अवतारणा किया. पखावज पर अंकीत पारिख, गट्टम पर वरुण राजशेखरन और तबले पर ललित कुमार ने सहयोग प्रदान किया. कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री सौरभ चक्रवर्ती ने किया.
किसी भी प्रकार से हमारे संगीत से जुड़े आज के युवा
इस मौके पर प्राची शाह पाण्डया ने कहा कि यहां आकर अच्छा लगा, ये शिवजी की पवित्र नगरी है. यहां आकर परफॉर्म करके सुकून मिला और खुशी भी. बनारस शहीद देश के युवाओं से ये कहना चाहूंगा कि वो हमारी गायन वादन नृत्य को जरूर सीखें. किसी ने किसी तरह से संगीत से जुड़े रहें.