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गंगा को प्रदूषण मुक्त करने में जुटी सरकार, छोड़ी जाएंगी 15 लाख मछलियां

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Published : Oct 3, 2021, 9:24 PM IST

गंगा का प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए वाराणसी में सरकार के निर्देश पर मत्स्य विभाग के द्वारा गंगा में पंद्रह लाख विभिन्न प्रजाति की मछलियों को छोड़ने की योजना बनाई गई है. 12 जनपदों में ये मछलियां छोड़ी जाएंगी, जो कि नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट करेगी.

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने में जुटी सरकार
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने में जुटी सरकार

वाराणसी: नमामि गंगे योजना के तहत गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए योगी सरकार अब 'रिवर रांचिंग' की मदद लेगी. नदियों की पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए योगी सरकार गंगा में 15 लाख मछलियां छोड़ेगी. नमामि गंगे योजना के तहत गंगा में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के निर्देश पर मत्स्य विभाग के द्वारा गंगा में पंद्रह लाख विभिन्न प्रजाति की मछलियों को छोड़ने की योजना बनाई गई है. 12 जनपदों में ये मछलियां छोड़ी जाएंगी, जो कि नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट करेगी.

मत्स्य विभाग नदी में छोड़गा 15 लाख मछलियां

सरकार गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है. नमामि गंगे प्लान के तहत गंगा में मल-जल जाने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण, गंगा टास्क फाॅर्स समेत गंगा को अविरल और निर्मल करने के लिए सभी जतन कर रही है. जिसमें योगी सरकार को तेजी से सफलता भी मिल रही है. अब यूपी की योगी सरकार ने गंगा के इको सिस्टम को बरकरार रखते हुए उसे साफ रखने के लिए रिवर रांचिंग प्रक्रिया से मछलियों का इस्तेमाल करेगी. सरकार 12 जिलों में 15 लाख मछलियां नदियों में छोड़ेगी, जिसमें गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, कानपुर, हरदोई, बहराइच, बुलंदशहर, अमरोहा, बिजनौर जिले शामिल हैं. पूर्वांचल में वाराणसी और गाजीपुर में 1.5-1.5 लाख मछलियां गंगा में छोड़ी जाएंगी. इस संबंध में नमामि गंगे के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि गंगा की स्वच्छता और भूगर्भ जल के संरक्षण के लिए समग्र प्रयास किए जा रहे हैं, ये भी उसी का एक हिस्सा है.

गंगा होगी प्रदूषण मुक्त

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गंगा में रह गई हैं महज 20 प्रतिशत मछलियां

मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि गंगा में प्रदूषण को नियंत्रित करने और नदी का इको सिस्टम बरकरार रखने के लिए 'रिवर रांचिंग' प्रोसेस का भी प्रयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में गंगा में अलग-अलग प्रजाति की मछलियां छोड़ी जाती हैं. यह मछलियां नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट करती हैं. बता दें कि ये मछलियां गंगा की गंदगी को तो समाप्त करती ही हैं, साथ ही जलीय जंतुओं के लिए भी हितकारी होती हैं. उन्होंने कहा कि गंगा में अधिक मछली पकड़ने और प्रदूषण से गंगा में मछलियां कम होती जा रही हैं. 20 सालों से लगातार नदियों में मछलियां घट रही है, इनकी संख्या अब 20 प्रतिशत रह गई है.

मां गंगा.

गंगा को मिलेगी संजीवनी

मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एन.एस. रहमानी ने जानकारी दिया कि 4 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में मौजूद लगभग 1500 किलो मछलियां 1 मिलीग्राम प्रति लीटर नाइट्रोजन वेस्ट को नियंत्रित करती हैं, इसलिए सरकार ने गंगा में भी लगभग 15 लाख मछलियों को प्रवाहित करने का निर्णय लिया है. हर दिन गंगा में काफी संख्या में नाइट्रोजन गिरता है, यदि नाइट्रोजन 100 मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक हो जाता है तो यह जीवन के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करता है. इसके बढ़ने से मछलियों का प्रजनन नहीं हो पाता है और वह अंडे नहीं दे पाती हैं. इससे इनकी प्राकृतिक क्षमता भी प्रभावित होती है. इस योजना के तहत सरकार की कोशिश है कि मछलियों के जरिए नदियों में प्राकृतिक जनन का कार्य शुरू किया जाए, क्योंकि इससे मछलियां संरक्षित होंगी और मछलियों के बढ़ने से अन्य जलीय जीवों में बढ़ोतरी होगी और प्राकृतिक प्रजनन ज्यादा होगा, जिससे नदी का प्रदूषण भी कम होगा.

गंगा में छोड़ी जाएंगी मछलियां.

8 अक्टूबर को डाली जाएंगी मछलियां

बता दें कि 8 अक्टूबर को रोहू, कतला और मृगला (नैना) नस्ल की मछलियां गंगा में डाली जाएंगी. इससे गंगा के प्रदूषण को कम किया जा सकेगा. इसके लिए 70 एमएम के बच्चे को भी तैयार किया गया है. खास बात यह है कि मछलियों के बच्चे गंगा में रहने वाली मछलियों के ही हैं, क्योंकि यदि मछलियों का प्राकृतिक वातावरण बदलेगा तो इससे उनका जीवन भी प्रभावित होगा.

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