उन्नाव: साल 2015 में जिले का रहने वाला एक युवक एक ट्रैवेल एजेंट के झांसे में आकर नौकरी करने मलेशिया गया और वहां फर्जीवाड़े के आरोप में मलेशिया की कुआलालंपर की जेल जेल पहुंच गया. पीड़ित की बहन ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई थी. सुषमा स्वराज के प्रयासों से ही वह युवक मलेशिया की जेल से आजाद होकर वापस भारत आ सका.
मामले की जानकारी देती विश्वनाथ की बहन. क्या था मामला-
बात साल 2015 की है, उन्नाव की कोतवाली गंगाघाट के सर्वोदय नगर मोहल्ले के रहने वाले विश्वनाथ ने अखबार में विदेश की नौकरी का विज्ञापन देखा. इसके बाद वह दिल्ली के एक ट्रैवेल एजेंट के पास पहुंचा. एजेंट ने उसे मलयेशिया में दो साल की नौकरी दिलाने के लिए 90 हजार में सौदा किया. विश्वनाथ को कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से वर्किंग वीजा और टूरिस्ट वीजा का अंतर नहीं पता चला. एजेंट ने मलेशिया जाते समय उससे दो साल का अग्रीमेंट भी कराया. वहां कुछ महीने तो सब ठीक चला, लेकिन एक दिन पुलिस ने उसे वर्किंग वीजा न होने की वजह से आरेस्ट कर जेल में बंद कर दिया.
ट्वीट कर लगाई थी न्याय की गुहार
विश्वनाथ की बहन ने कहा कि उनका भाई नौकरी के लिए मलेशिया गया. वहां उसके कागज गलत बन गए, जिससे भाई को वहां जेल में बंद कर दिया गया. एक बार भाई का फोन आया तो ये सब पता चला. काफी भागदौड़ करने के बाद भी कोई राह नहीं दिखाई दी तो विश्वनाथ की बहन ने सुषमा स्वराज को ईमेल और ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी. सुषमा ने तुरंत जवाब दिया और मलेशिया सरकार के साथ संपर्क साधकर विश्वनाथ को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दीं. आखिर में एक अप्रैल 2016 को विश्वनाथ की घर वापस आ सका.