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लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं मो. अहमद - funeral of unknow dead bodies

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में रहने वाले मोहम्मद अहमद हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं. जब कभी भी लावारिस लाश के अंतिम संस्कार की बात सुनने में आती है तो वहां मो. अहमद खुद ही पहुंच जाते हैं और शव का अंतिम संस्कार करते हैं.

मोहम्मद अहमद.

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Published : Nov 7, 2019, 5:14 PM IST

उन्नाव:एक तरफ जहां अयोध्या फैसले को लेकर हर जगह साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की चिंता सताने लगी है. वहीं उन्नाव जिले में एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. जिले के केसरबाग निवासी मोहम्मद अहमद इंसानियत की किसी जीती जागती मिसाल से कम नहीं हैं, क्योंकि जिन लाशों का कोई वारिस नहीं होता ऐसी लावारिस लाशों का मोहम्मद अहमद अंतिम क्रिया-कर्म खुद ही अपने पैसों से करते हैं.

इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे मो. अहमद.
पुलिस को जैसे ही किसी लावारिस लाश की सूचना मिलती है तो पोस्टमार्टम के बाद पुलिस भी मोहम्मद अहमद से ही संपर्क करती है. फिर वो लाश चाहे किसी भी धर्म या किसी भी मजहब के व्यक्ति की हो. वजह यह कि मोहम्मद अहमद उसका अंतिम संस्कार खुद ही करते हैं. खास बात यह है कि जहां कई दिन पुराने शव को कोई छूना भी नहीं चाहता, वहीं मो. अहमद उन लाशों के कफ़न और दफन की व्यवस्था करते हैं. यही नहीं इसके लिए मोहम्मद अहमद किसी से कोई पैसा तक नहीं लेते बल्कि कब्रिस्तान में आने वाली लाशों के वारिस से ही चंदा लेकर उन लावारिस लाशों का भी अंतिम क्रियाकर्म करते हैं. कब्रिस्तान में मोहम्मद अहमद ने चारो तरफ वृक्षारोपण कर हरियाली कर रखी है और साथ ही लोगों से भी पेड़ लगाने की अपील करते रहते हैं.

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