सुलतानपुर :स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी कार्यालयों में कई आयोजन किए गए. विद्यालय और महाविद्यालयों में लंबे व्याख्यान हुए. हालांकि इस हर्ष और उल्लास के बीच जिला मुख्यालय पर 2 जून की रोटी का प्रबंध करने के लिए श्रमिक 20 से 30 किलोमीटर लंबा सफर पैदल तय कर आते दिखे. उनके लिए स्वतंत्रता दिवस के मायने तो हैं पर तभी जब उनके पेट में रोटी हो.
अमेठी और रायबरेली जिले से बड़ी संख्या में मजदूर सुल्तानपुर की मंडी में आते हैं. श्रमिक और राजगीर बनकर रोजगार की तलाश करने के लिए सुबह से ही इंसानों की हलचल शुरू हो जाती है. दौड़भाग होती रहती है.
स्वतंत्रता दिवस के आयोजनों के बीच देखिए 'भूख की मंडी कोई काम देने आता है तो उसके अगल-बगल मजदूरों का तांता लग जाता है. 8 घंटे पसीना बहाने का हौसला होता है लेकिन कोविड-19 के बाद चल रही मंदी ने इन मजदूरों की 2 जून की रोटी भी दुश्वार कर दी.
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श्रमिक राज कुमार कहते हैं कि शुरुआत में सरकार की तरफ से ₹1000 दिए गए थे. इसके बाद से कोई सहायता नहीं मिली. सूरज कुमार कहते हैं कि नामांकन तो कराया है लेकिन रोजगार के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं मिला. श्रमिक नंद कुमार कहते हैं कि राशन कार्ड तक नहीं बना है ताकि 2 जून की रोटी मिल सके.
शीतला कुमार कहते हैं कि पंजीकरण से संबंधित कोई जानकारी हमें नहीं दी गई. शहर के चौक घंटाघर के श्रमिक महेश कुमार कहते हैं कि हमारा पंजीकरण नहीं हुआ है. लंभुआ के रईस अहमद कहते हैं कि यह हमारे मजदूर भाई रोजगार की समस्या से जूझते हैं, इन्हें काम नहीं मिलता.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चल रहा अभियान : डीएम
जिलाधिकारी सुलतानपुर रवीश गुप्ता ने बताया कि ₹10 वार्षिक शुल्क के आधार पर श्रमिकों का पंजीकरण किया जाता है. इनमें जन्म से लेकर मृत्यु तक से संबंधित सभी योजनाएं शामिल हैं. श्रमिक बच्चों के लिए स्कॉलरशिप है. रोजगार के लिए लोन की सुविधा है.
चलने फिरने के लिए साइकिल और ट्राई साइकिल भी देने की व्यवस्था है. संगठित और असंगठित मजदूरों के पंजीकरण के लिए अभियान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चलाया जा रहा है. दोनों श्रेणी के मजदूरों को कवर किया जाएगा. इन्हें लाभ दिया जाएगा.