सुलतानपुर: अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले हसनपुर रियासत के रणबांकुरों की शहादत को उत्तर प्रदेश सरकार भूल गई है. सरकार के मुंह मोड़ने से अफसरों ने भी नजरें फेर ली हैं. मामला हसनपुर रियासत से जुड़े उन सैनिकों का है, जिन्होंने सन् 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान अपने प्राण न्यौछावर किए थे. आज उनकी पावन कब्रगाह पर गणतंत्र दिवस पर एक फूल भी नहीं चढ़ सका.
अंग्रेजी फौज लौटने पर हुई थी मजबूर
सन् 1857 में अंग्रेजों ने सुलतानपुर पर धावा बोला था. तत्कालीन हसनपुर रियासत 700 रणबांकुरे के साथ मैदान में उतरे. अंग्रेजी सरकार की नींव तक हिला दी थी. सुलतानपुर में कादू नाला पुल पर भीषण संग्राम हुआ था. उसमें अंग्रेजी फौज को पैर पीछे खींचने पड़े थे.
उपेक्षा का शिकार शहीदों की कब्रगाह
सुलतानपुर पर अंग्रेजों का विजय ध्वज नहीं लहरा सका था. उस संग्राम में शहीद हुए सेनानियों की कब्रगाह लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के बगल स्वतंत्रता के बाद बनाई गई. उसे सम्मान स्थल का नाम दिया गया था, लेकिन आज वह उत्तर प्रदेश सरकार और उनके अफसरों की उपेक्षा का शिकार है.