सोनभद्र: अपर सत्र न्यायालय की अदालत ने चार नक्सलियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. बता दें कि इन्होंने 17 वर्ष पूर्व पुलिस का मुखबिर बताकर इंद्रकुमार गुर्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. न्यायालय ने प्रत्येक नक्सली पर 230000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर सभी को दो-दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि मृतक की पत्नी विद्यावती को अर्थदंड की आधी धनराशि 4 लाख 60 हजार रुपये मिलेगी. इसके अलावा इन नक्सलियों द्वारा जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी.
चार खूंखार नक्सलियों को 17 वर्ष बाद कोर्ट ने सुनाई सजा:सोनभद्र के पुलिस का मुखबिर बताकर 17 वर्ष पूर्व इंद्रकुमार गुर्जर की गोली मारकर हत्या करने के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) आसुतोष कुमार सिंह की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर चार नक्सलियों भोला उर्फ राकेश पाल, गोपी उर्फ किशन गोपाल, विनोद खरवार व कमल जी उर्फ लालव्रत उर्फ राजगुरु को उम्रकैद एवं प्रत्येक पर 2 लाख 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अर्थदंड जमा न करने पर प्रत्येक को 2-2 वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. वहीं मृतक की पत्नी विद्यावती को अर्थदंड की आधी धनराशि 4 लाख 60 हजार रुपये मिलेगी.
मांची थाना क्षेत्र में वर्ष 2005 में नक्सलियों ने की थी हत्या: अभियोजन पक्ष के मुताबिक मांची थाने में 3 अगस्त 2005 को दी तहरीर में मांची थाना क्षेत्र के खोडैला गांव निवासी जय प्रकाश गुर्जर पुत्र स्वर्गीय हीरालाल गुर्जर ने अवगत कराया था कि उसका छोटा भाई इंद्रकुमार गुर्जर 2 अगस्त 2005 को शाम 7:30 बजे अपने घर आ रहा था कि अकड़ौलिया गाांव के पास नक्सली एरिया कमांडर संजय कोल के साथ चंदौली जिला के नौगढ़ थानांतर्गत जयमोहनी गांव निवासी भोला उर्फ राकेश पाल पुत्र दादू पाल, दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के छितवा टोला आरंगपानी निवासी गोपी उर्फ किशन गोपाल, कैमूर बिहार के अधौरा थाना क्षेत्र के लोहरा गांव निवासी विनोद खरवार पुत्र बुद्धू व चंदौली जिला के नौगढ़ थानांतर्गत झारियावा गांव निवासी कमलजी उर्फ लालव्रत उर्फ राजगुरु के साथ करीब अन्य 7-8 की संख्या में नक्सली पार्टी ने उसे रास्ते में पकड़ लिया.
नक्सलियों ने उसे पुलिस का मुखबिर बताकर उसका हाथ पीछे बांधकर गोली मारकर हत्या कर दी. इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया और पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी. इनमें से खूंखार नक्सली एरिया कमांडर रहे संजय कोल पुलिस मुठभेड़ में वर्ष 2007 में मार दिया गया था. इस वजह से इसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी.