सोनभद्र: प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित सोनभद्र जनपद में एलपीजी गैस एवं विद्युत कनेक्शन युक्त कार्ड धारकों को केरोसिन का तेल नहीं मिलेगा. देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार और नीति आयोग के आकांक्षी जिले में प्रदेश सरकार ने मिट्टी का तेल देने पर रोक लगा दी. इससे भारी संख्या में गरीब जनता प्रभावित होगी. हालांकि जिले के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर विद्युतीकरण नहीं हो पाया है. इस संबंध में जिला पूर्ति अधिकारी का कहना है कि यह आदेश शासन स्तर से आया है.
सोनभद्र में अब नहीं मिलेगा केरोसिन, शासन ने लगाई रोक
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के तहत कार्ड धारकों को दिया जाने वाला केरोसिन अब नहीं मिलेगा. शासन के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है.
उत्तर प्रदेश शासन अनुसचिव अशोक कुमार ने पत्र लिखकर 15 जनपदों के जिलाधिकारियों को सूचित किया है, जिसमें सोनभद्र भी शामिल है. उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के द्वितीय त्रैमास के जुलाई-अगस्त और सितंबर में मिट्टी के तेल आवंटन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया. इससे पहले जनपद में 360 किलोलीटर यानी 36,0000 लीटर मिट्टी का तेल आवंटित हुआ था, जिसमें अंतोदय कार्ड धारक प्रति व्यक्ति को तीन लीटर और पात्र गृहस्थी कार्ड धारक प्रति व्यक्ति को एक लीटर के हिसाब से मिट्टी का तेल दिया गया था.
उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से पिछले वर्ष पत्र भेजकर एक सर्वे करने के लिए कहा गया था, जिसमें एलपीजी गैस एवं विद्युत कनेक्शन युक्त कार्ड धारकों को चिन्हित किया गया. सर्वे के उपरांत दोनों सुविधाओं का उपयोग कर रहे, चाहे वह पात्र गृहस्थी एवं अंतोदय कार्ड धारक हों, उनको मिट्टी का तेल आवंटित नहीं किया जा रहा, लेकिन कुछ पात्र गृहस्थी एवं अंत्योदय कार्ड धारक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पास विद्युत एवं एलपीजी कनेक्शन नहीं है. ऐसे लोगों को मिट्टी का तेल वितरित किया गया था. फिलहाल जनपद के 3,71,300 परिवारों का नाम खाद्य विभाग की वेबसाइट पर दर्ज हैं, जिसमें से 60,071 अंतोदय कार्ड धारक हैं, जिनकों केरोसिन का तेल नहीं वितरण किया जाएगा.
इसी प्रकार जनपद में 3,11229 पात्र गृहस्थी के कार्ड धारक हैं. शासन ने इनको भी केरोसिन देने पर पूरी तरह रोक लगा दी है. हालांकि मिट्टी के तेल की आपूर्ति किसलिए रोकी गई है. इसके संबंध में विभागीय अधिकारी भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं. जिला पूर्ति अधिकारी डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने बताया कि यह निर्णय शासन के निर्देश के बाद लिया गया है.