सीतापुर: प्रदेश की राजधानी से कोई 60 किलोमीटर दूर पश्चिम में बसी सीतापुर जिले की कसमंडा रियासत का अपने आप में गौरवशाली इतिहास रहा है. जो अपने वैभव शान-ओ-शौकत के साथ ही राजनीति धर्म और साहित्य में भी अपना अप्रतिम योगदान देती रही है. अट्ठारह सौ सत्तावन के पहले स्वाधीनता संघर्ष के साथ देसी रियासतों द्वारा अंग्रेजी सरकार का खुलकर विरोध करने के कारण अंग्रेजों ने इस राजवंश के कसमंडा के किले को को पूरी तरह पूरी तरह ध्यवस्त कर दिया. जिसके बाद 1905 के करीब इस राजवंश के शासक राजा जवाहर सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे लाइन के किनारे रियासत का भव्य राज महल कमलापुर में निर्मित करवाया.
इसी वंश के राजा दिनेश दिनेश प्रताप सिंह ने राजवंश को बुलंदियों तक ले जाने का काम किया. उन्होंने शिक्षण संस्थानों की स्थापना के साथ ही जनहितकारी अनेकों कार्य किए. स्थानीय लोग बताते हैं कि सीतापुर की जिला जेल भी इसी रियासत का महल हुआ करती थी. जिसे राजा ने अंग्रेजों द्वारा नजरबंद किए जाने पर जेल का दर्जा खुद दिया था. यही नहीं पूरी दुनिया में सीतापुर आंख अस्पताल की स्थापना में भी इस राजवंश का बड़ा योगदान तो है ही काले पानी की सजा पाने और आजादी का फतवा देने वाले अल्लामा फाजल-ए-हक खैराबादी की धरोहर को भी संजोने का काम इसी राजवंश ने किया.