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कैसर जहां ने थामा कांग्रेस का हाथ, बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण

सीतापुर और आस-पास की क्षेत्र की राजनीति में अपना खासा वर्चस्व रखने वाली पूर्व बसपा सांसद कैसर जहां और उनके चेयरमैन पति ने कांग्रेस का हाथ थामा है. दोनों के शामिल होने के बाद यूपी कांग्रेस को जहां मजबूती मिली है. वहीं चर्चा है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस कैसर जहां को उम्मीदवार घोषित कर सकती है.

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Published : Mar 5, 2019, 10:57 PM IST

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सीतापुर : लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही दल बदलने का दौर भी शुरू हो गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही के बाद अब जिले के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व बसपा सांसद कैसर जहां और उनके नगरपालिका चेयरमैन पति जासमीर अंसारी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. दोनों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद जहां चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं वहीं कयास लगाए जा रहे हैंकि कांग्रेस कैसर जहां को अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है.

कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपने अगले कदम के बारे में बताते चेयरमैन जासमीर अंसारी


लहरपुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद से अपना राजनीतिक सफरशुरू करने वाली कैसरजहां 2009 में बसपा के टिकट पर सांसद चुनी गईं थीं. 2014 के चुनाव में वह दोबारा बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ी, लेकिन तीन लाख से ज्यादा वोट पाने के बावजूद मोदी लहर के चलते चुनावी जंग को फतह नहीं कर सकीं. उनके पति लहरपुर नगर पालिका के मौजूदा चेयरमैन है और इससे पहले भी दो बार नगर पालिका लहरपुर के चेयरमैन के अलावा लहरपुर से बसपा के टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं.


कांग्रेस में इनके शामिल होने से जिले में न सिर्फ राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलने है बल्कि उन्हें टिकट का मजबूत दावेदार भी माना जा रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कांग्रेस में रहकर काम करने और पार्टी हाईकमान के निर्देश का पालन करने की बात कही.


बता दें कि राजनीतिक क्षेत्र में खासा वजूद रखने वाले इस दम्पति के इस राजनीतिक कदम को बेहद अहम माना जा रहा है. बसपा सरकार में इन दोनों की तूती बोलती थी, लेकिन कुछ समय पहले जब पार्टी ने इन्हें निष्काषित कर दिया तो यह अपना नया राजनीतिक ठिकाना तलाशते हुए कांग्रेस पार्टी में दाखिल हो गए.


जिसके बाद लोकसभा के टिकट पर इनकी दावेदारी को बेहद अहम माना जा रहा है. कैसर जहां के कांग्रेस उम्मीदवार बनने पर कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचाकर चुनावी मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना सकता है.

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